ज्ञानियों तथा ऋषि-मुनियों और अवतारों की भूमि ‘भारतवर्ष’ एक रहस्यमय (Mysterious Places) देश है। यदि दुनियां में धर्म कहीं है तो सिर्फ़ यहीं है। यदि संत कहीं हैं तो सिर्फ़ यहीं हैं। माना कि आजकल धर्म, अधर्म की राह पर चल पड़ा है। माना कि अब नकली संतों की भरमार है फिर भी यहाँ की भूमि ही धर्म और संत है। भारत भूमि को देवभूमि कहा जाता है। हिन्दुकुश पर्वत माला से लेकर अरुणाचल तक और कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक भी भूमि को भारत कहा जाता है।
आओ जानते हैं हम भारत के वे प्रमुख रहस्यमय स्थान (Mysterious Places) जिनका ऐतिहासिक और प्राचीन महत्त्व है ही साथ ही जहां जाकर आप महसूस करेंगे कि कुछ अलग जगह पर आ गए हैं। रहस्य और रोमांच से भरे ऐसे हमने 12 स्थान ढूंढे हैं। इन स्थानों का धार्मिक महत्त्व से कहीं ज़्यादा ऐतिहासिक महत्त्व है। इन स्थानों पर अभी और भी शोध किए जाने की आवश्यकता है। इन स्थानों पर जाने से आपको इन स्थानों से जुड़े रहस्यों का पता चलेगा। यह ऐसे स्थान हैं जिनके आसपास कई प्राचीन और रहस्यमय स्थान मौजूद हैं। यदि आप यहाँ जाना चाहते हैं तो इन स्थानों की अच्छे से स्टडी करके जाएं।
पुष्करराज, राजस्थान का रेगिस्तान और सरस्वती नदी
राजस्थान का रेगिस्तान अपने आप में एक रहस्य है। राजस्थान के बीच में से ही सरस्वती नदी बहती थी और यहाँ पर ही दुनिया की सबसे प्राचीन सभ्यता रहती थी। आज भी सरस्वती की सभ्यता खोजी जाना बाकी है। कहा जाता है कि सरस्वती नदी के तट पर ही बैठकर ऋषियों ने वेद और स्मृति ग्रंथ लिखे थे। पुष्कर राजस्थान के लगभग बीचोबीच स्थित है। पुष्कर में ब्रह्माजी के एकमात्र मंदिर है। तीर्थ तो बहुत हैं लेकिन पुष्कर एक तीर्थस्थल है इसलिए इसका जिक्र नहीं किया जा रहा। पुष्कर उस प्राचीन सभ्यता का केंद्र है, जो कभी 4,000 वर्ष पूर्व अर्थात महाभारतकाल तक अस्तित्व में थी।
भारत में झीलें बहुत हैं, जैसे महाराष्ट्र में लोणार की झील, जयपुर और उदयपुर की झीलें लेकिन पुष्कर में स्थित झील का महत्त्व कुछ और ही है। इस रहस्यमय झील और आसपास के क्षेत्र पर शोध किए जाने की आवश्यकता है। अजमेर से मात्र 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है तीर्थस्थल पुष्कर।
महाबलीपुरम: महाबलीपुरम एक ऐतिहासिक रहस्यमय नगर है। यहाँ का प्रथम राजा, राजा बली था इसीलिए इसका नाम महाबलीपुरम है। हालांकि यह नगर कई बार उजाड़ हो गया लेकिन मध्यकाल में इसे पल्लव राजाओं ने फिर से आबाद किया। वामन भगवान ने दैत्यराज बली को पृथ्वी का दान इसी स्थान पर दिया गया था। इससे इस नगर की प्राचीनता का अनुमान लगाया जा सकता है। महाबली राजा बली के 10 रहस्य, जानिए
यह नगर पूर्वोत्तर तमिलनाडु राज्य, दक्षिण भारत में स्थित है। प्राचीनकाल में महाबलीपुरम एक महानगर था। यहाँ पर विशालकाय और अद्भुत मंदिरों की एक शृंखला है जिसका एक भाग अब समुद्र में समा गया है। यहाँ सैकड़ों मंदिर और गुफाएं हैं, जो अपने आप में एक रहस्य हैं। दुनियाभर से लाखों पर्यटक इस शहर को देखने के लिए आते हैं। भारत के 7 आश्चर्यों में से एक महाबलीपुरम में दफन है प्राचीन भारत का रहस्यमय इतिहास।
यह नगर बंगाल की खाड़ी पर चेन्नई (भूतपूर्व मद्रास) से 60 किलोमीटर दूर स्थित है। इसका एक अन्य प्राचीन नाम बाणपुर भी है। महाबलीपुरम तमिलनाडु के कांचीपुरम जिले में है। इस रहस्यमय नगर पर शोध किए जाने की आवश्यकता है।
हम्पी और किष्किंधा : दक्षिण भारत के कर्नाटक का छोटा-सा गांव है हम्पी, यूनेस्को की विश्व विरासत की लिस्ट में शामिल हम्पी भारत का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। हम्पी कर्नाटक राज्य का हिस्सा है। हम्पी बेलगांव से 190 किलोमीटर दूर, बेंगलुरु से 350 किलोमीटर दूर और गोवा से 312 किलोमीटर दूर है। मंदिरों का यह प्राचीन शहर मध्यकाल में हिन्दू राज्य विजयनगर साम्राज्य की राजधानी था।
हम्पी में बने दर्शनीय स्थलों में सम्मिलित हैं-विरुपाक्ष मंदिर, रघुनाथ मंदिर, नरसिम्हा मंदिर, सुग्रीव गुफा, विठाला मंदिर, कृष्ण मंदिर, हजारा राम मंदिर, कमल महल और महानवमी डिब्बा। हम्पी से 6 किलोमीटर दूर तुंगभद्रा बांध है। हमने हम्पी को इसलिए लिया, क्योंकि यह कभी राम के काल में किष्किंधा क्षेत्र में हुआ करता था। यह किष्किंधा का केंद्र था। आजकल होसपेट स्टेशन से ढाई मील दूरी पर और बेल्लारी से 60 मील उत्तर की ओर स्थित एक पहाड़ी स्थान को किष्किंधा कहा जाता है। रामायण के अनुसार यह वानरों की राजधानी थी। यहाँ ऋष्यमूक पर्वत के आसपास तुंगभद्रा नदी बहती है। ऋष्यमूक पर्वत तथा तुंगभद्रा के घेरे को चक्रतीर्थ कहते हैं। रामायणकाल में किष्किंधा वानर राज बाली का राज्य था। कर्नाटक के दो जिले कोप्पल और बेल्लारी को मिलाकर किष्किंधा राज्य बनता है।
किष्किंधा में घूमने के लिए कई स्थान हैं। ब्रह्माजी का बनाया हुआ पम्पा सरोवर है। हनुमानजी की जन्मस्थली आंजनाद्रि पर्वत है। बाली की गुफा और सुग्रीव का निवास स्थान ऋषम्यूक पर्वत भी यहीं स्थित है। चिंतामणि मंदिर, जहां से राम ने बाली के ऊपर तीर चलाया था, वह भी इसी जगह के अंतर्गत आता है। ये सब किष्किंधा के कोप्पल जिले वाले भाग में आते हैं। बेल्लारी जिले के अंतर्गत आने वाले किष्किंधा के दूसरे भाग में भगवान राम ने जहां चार्तुमास किया था, वह माल्यवंत पर्वत और हनुमान आदि वानरों ने सीता का पता लगाकर लौटते वक्त जिस वन में फल खाए थे, वह मधुवन यहाँ पड़ता है। इसके अलावा भी कई छोटे-बड़े मंदिर और शिवलिंग यहाँ स्थित हैं।
कन्याकुमारी मंदिर, दक्षिण भारत :
कन्याकुमारी प्वांइट को भारत का सबसे निचला हिस्सा माना जा है। यहाँ समुद्र तट पर ही कुमारी देवी का मंदिर है। यहाँ माँ पार्वती के कन्या रूप को पूजा जाता है। यह देश में एकमात्र ऐसी जगह है जहां मंदिर में प्रवेश करने के लिए पुरूषों को कमर से ऊपर के क्लॉथ्स उतारने होंगे। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस स्थान पर देवी का विवाह संपन्न न हाे पाने के कारण बचे हुए दाल-चावन बाद में कंकड़-पत्थर बन गए. कहा जाता है इसलिए ही कन्याकुमारी के बीच या रेत में दाल और चावल के रंग-रूप वाले कंकड़ बहुत मिलते हैं। आश्चर्य भरा सवाल तो यह भी है कि ये कंकड़-पत्थर दाल या चावल के आकार जितने ही देखे जा सकते हैं।
यदि आप मंदिर दर्शन को गए हैं तो यहाँ सूर्योदय और सूर्यास्त भी देखें। कन्याकुमारी अपने ‘सनराइज’ दृश्य के लिए काफी प्रसिद्ध है। सुबह हर विश्रामालय की छत पर टूरिस्टों की भारी भीड़ सूरज की अगवानी के लिए जमा हो जाती है। शाम को अरब सागर में डूबते सूरज को देखना भी यादगार होता है। उत्तर की ओर करीब 2-3 किलोमीटर दूर एक सनसेट प्वॉइंट भी यहाँ है।