मध्य प्रदेश के सलकनपुर का माँ विजयासन धाम (Vijayasan Dham) प्रसिद्ध शक्तिपीठों में शामिल है। इसकी स्थापना का समय स्पष्ट रूप से ज्ञात नहीं लेकिन इतना ज्ञात है कि इस मंदिर का निर्माण 1100 ई. के करीब गौंड राजाओं द्वारा किला गिन्नौरगढ़ निर्माण के दौरान करवाया गया था। प्रसिद्ध संत भद्रानंद स्वामी ने माँ विजयासन धाम (Vijayasan Dham) में कठोर तपस्या की। उन्होंने नल योगिनियों की स्थापना कर क्षेत्र को सिद्ध शक्तिपीठ बनाया था। लाखों देवी भक्त इस तपस्या स्थली पर पहुंचते हैं और मन्नत मांगते हैं।
एक पौराणिक कथा के अनुसार जब रक्तबीज नामक देत्य से त्रस्त होकर जब सभी देवता देवी की शरण में पहुंचे। तो देवी ने विकराल रूप धारण कर लिया और इसी स्थान पर रक्तबीज का संहार कर उस पर विजय पाई. माँ भगवति की इस विजय पर देवताओं ने जो आसन दिया, वही विजयासन धाम (Vijayasan Dham) के नाम से विख्यात हुआ। माँ का यह रूप विजयासन देवी कहलाया।
इसी पहाड़ी पर सैकड़ों जगहों पर रक्तबीज से युद्ध के अवशेष नजर आते हैं। नवरात्र में इस स्थान पर लाखों श्रद्धालु अपनी मन्नत पूरी होने पर चढ़ावा-चढ़ाने, जमाल चोटी उतारने और तुलादान कराने पहुंचते हैं। परिसर सर्वसुविधायुक्त है।
सलकनपुर में विराजी सिद्धेश्वरी माँ विजयासन (Vijayasan Dham) की ये स्वयंभू प्रतिमा माता पार्वती की है जो वात्सल्य भाव से अपनी गोद में भगवान श्री गणेश को लिए हुए बैठी हैं। इसी मंदिर में महालक्ष्मी, महासरस्वती और भगवान भैरव भी विराजमान हैं यानी इस एक मंदिर में कई देवी-देवताओं के आशीर्वाद का सौभाग्य भक्तों को प्राप्त होता है।
मध्य प्रदेश के जिला मुख्यालय सीहोर से 90 किमी दूर रेहटी तहसील में स्थित है सलकनपुर। यंहा पहुंचने के लिए भोपाल से 75 किमी की दूरी पर है। होशंगाबाद से 40 किमी की दूरी पर, इंदौर से 180 किमी की दूरी पर माँ विजयासन धाम (Vijayasan Dham) पहुंचा जा सकता है।
सलकनपुर स्थित इस मंदिर तक पहुंचने के लिये लगभग 1000 से भी कंही अधिक सीढ़ियों के रास्ते से गुजरना होता है। किन्तु वर्तमान में सीढ़ियों के अलावा रोप वे मंदिर तक पहुंचने का साधन है जिसका कुछ शुल्क देना होता है । आप कार तथा बाइक की सहायता से सीधे रोड से भी मंदिर तक पंहुच सकते है। बरसात के मौसम में यंहा की प्राकृतिक सौंदर्यता देखते ही बनती है ।