अब माननीय केंद्रीय संसदीय मंत्री और दक्षिण में भाजपा के बड़े चेहरे वेंकैया नायडू उपराष्ट्रपति पद के लिए एनडीए के उम्मीदवार होंगे। जिसपर भाजपा के घटक दलों में भी मुहर लग गई है। वेंकैया के नाम पर संघ ने भी अपनी सहमति दे दी है। एक ओर जहां विपक्षी दलों ने गोपालकृष्ण गांधी को उपराष्ट्रपति पद का संयुक्त उम्मीदवार घोषित किया है तो वहीं एनडीए की ओर से केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू के नाम पर लगभग मुहर लग गई है |
सत्तर के दशक में जब भाजपा का पूर्ववर्ती संगठन जनसंघ अपनी पहचान बना ही रहा था और दक्षिण में उसका कोई आधार नहीं था, तब आंध्र प्रदेश का एक युवा पार्टी कार्यकर्ता अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी जैसे दिग्गजों के पोस्टर लगाने में व्यस्त रहता था। वही युवा आगे चलकर भा।ज।पा। का बड़ा चेहरा यानी भाजपा के बड़े नेता वेंकैया नायडू हुए |
श्री वेंकैया नायडू शुरु से ही पार्टी के बहुत ही भरोसेमंद रहे हैं। उन्हें 1980 में बीजेपी यूथ विंग और आंध्र प्रदेश विधानसभा का नेता प्रतिपक्ष बनाया गया था। शुरुआती दौर में वे आंध्र बीजेपी के सबसे वरिष्ठ नेताओं में से एक थे। नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी के बाद पार्टी ने उनका कद बढ़ाते हुए 1988 में उन्हें आंध्र बीजेपी का अध्यक्ष बना दिया।
सन 1993 से 2000 तक वेंकैया बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव रहे। सन 2002 में वे पहली बार भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। वे दिसम्बर 2002 तक अध्यक्ष रहे। इसके बाद सन 2004 में वह दोबारा अध्यक्ष बने। वेंकैया नायडू का जन्म 1 जुलाई 1949 को चावटपलेम, नेल्लोर जिला, आंध्र प्रदेश के एक कुर्मी परिवार में हुआ था।वेंकैया ने नेल्लोर के आंदोलन में हिस्सा लेते हुए विजयवाड़ा के आंदोलन का नेतृत्व किया। सन 1974 में वे आंध्र विश्वविद्यालय के छात्रसंघ अध्यक्ष चुने गए । इसके बाद वह आपातकाल के दौरान जेपी आंदोलन से जुड़े। आपातकाल के बाद ही उनका जुड़ाव जनता पार्टी से हो गया। बाद में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी का दामन थामा। सन 2002 से 2004 तक उन्हें बीजेपी का अध्यक्ष बनाया गया।
दूसरी ख़ास बात ये कि जब वेंकैया नायडू संसदीय मामलों के मंत्री थे तो उनके कई सारे मित्र हैं अन्य पार्टियों में। ऐसा नहीं है कि वेंकैया नायडू केवल बीजेपी या एनडीए तक ही सीमित हैं। उनके कांग्रेस में भी मित्र हैं, समाजवादी पार्टी और जदयू में मित्र हैं। अपने व्यक्तिपरक सम्बन्धो की वजह से भी ये जो दोस्ती उन्होंने बनाई है वह उनके लिए फायदेमंद हो सकती है। ऐसा माना जा रहा है कि भाजपा दक्षिण भारत में अपना विस्तार करना चाहती है और ऐसे में वेंकैया नायडू का आंध्र प्रदेश से होना उनके चयन की बड़ी वजह हो सकता है।
मोदी मंत्रिमंडल के सबसे गरीब सदस्य वेंकैया नायडू ही रहे. नायडू के पास 22500 नकद और 1761837 बैंक में जमा हैं. यानी उनके पास पूंजी के नाम पर केवल 178337 रुपए हैं. वेंकैया नायडू ने अपनी पत्नी को करीब 26 लाख रुपए का लोन भी दिया है. बाकी अचल सम्पति उनकी पत्नी उषा नायडू के नाम है दर्ज हैं l प्रधानमंत्री कार्यालय की वेबसाइट पर मौजूद संपत्ति के ब्योरे पर नजर डालें तो वेंकैया के पास घर, फ्लैट, गाड़ी आदि कोई भी अचल संपत्ति नहीं है। नकदी के नाम पर उनके पास करीब 18 लाख रुपए हैं। नायडू ने अपना जीवन बीमा तक नहीं कराया है ।
अगर वेंकैया उपराष्ट्रपति चुने गए तो तीन-चार अहम मंत्रालय खाली होने वाले हैं वह सूचना और प्रसारण मंत्री भी थे और शहरी विकास मंत्रालय भी उनके पास था। स्मार्ट सिटी परियोजना को उन्होंने ही हरी झंडी दिखाई थी। अरुण जेटली के पास फिलहाल रक्षा और वित्त दो बेहद अहम मंत्रालय हैं। कैबिनेट में फेरबदल या फिर उसका विस्तार तो होना तय है। राष्ट्रपति और उपराष्ट्रति के चुनाव की पूरी प्रक्रिया हो जाने के बाद जब मॉनसून सत्र समाप्त हो जाएगा उसके बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल होना ही है।