यह दिल्ली के चाणक्यपुरी से 7 किमी दूर स्थित तिहाड़ा गाँव में स्थित है। इसके आसपास के क्षेत्र को ‘हरि नगर’ नाम से जाना जाता है। जेल का नाम आते ही सभी के दिमाग में खूंखार कैदी घूमते नजर आते हैं, जिनके प्रति किसी की भी सहानुभूति नहीं होती है l लेकिन दूसरी तरफ जेल में कैदियों के साथ होने वाले खराब बर्ताव की खबरें भी आती रहती हैं, जो किसी को भी विचलित कर सकती हैं यहाँ पर हम आपको बताने जा रहे हैं कि तिहाड़ जेल में कैदियों के लिए क्या कुछ सुविधाएं हैं, उन्हें खाने में क्या कुछ मिलता है। देश की राजधानी दिल्ली में स्थित तिहाड़ का परिसर दक्षिण एशिया में सबसे बड़ा हैं | तिहाड़ जेल सन् 1957 से कुख्यात कैदियों की सेवा में है |
तिहाड़ जेल और कैदी
एसी और कूलर नहीं होता है, सिर्फ़ पंखा रहता है। कूलर इसलिए नहीं क्योंकि उसकी पंखी तोड़ कर ब्लेड बना सकते हैं l जिससे सुरक्षा को खतरा हो सकता है lअपनी अपनी सेल में सब अकेले सोते हैं। हां, कोई किसी को साथ सुलाना चाहे तो सुप्रींटेंडेट इजाजत दे सकता है। पर फिर दो लोग और सोएंगे। यानी एक या तीन ही साथ सो सकते हैं। दो नहीं |
हर सैल में टीवी है तथा टीवी पर लगभग 25 चैनल हैं। कई साउथ इंडियन चैनल भी लगाए गए हैं। चैनल सिर्फ़ वही हैं, जिनसे भावनाएं ना भड़कें। भड़कीले मयूजिक चैनल और फैशन टीवी पर रोक है | अंग्रेजी-हिंदी अखबार भी है उपलब्ध हो जाता है |
कैदी अपने कपड़े जेल में प्रेस करा सकते हैं। सोने के लिए हर सेल में गर्मी में एक चादर बिछाने को एक ओढ़ने को और एक तकिया दिया जाता है। घर से भी चादर मंगा सकते हैं, अगर विचाराधीन कैदी हैं। लिहाजा ये घर से लाए कपड़े पहनते हैं। जेल के नहीं। घर से भी चादर मंगा सकते हैं, अगर अंडरट्रायल यानी विचाराधीन कैदी हैं। लिहाजा ये घर से लाए कपड़े पहनते हैं। जेल के नहीं। विचाराधीन कैदीयो को काम नहीं करना पड़ता है तथा इन्हें एक हफ्ते में घर से दो हजार रुपये मंगाने की छूट है |
कैदियों को खाने के लिए जेल के खाने के तहत सुबह नाश्ते में दो ब्रेड, सब्जी, चाय दी जाती है। कैदियों को दोपहर और रात के खाने में चार सौ ग्राम चावल या आटा। प्रत्येक कैदी को 90 ग्राम दाल और 25 ग्राम सब्जी दी जाती है lनॉन वेज नहीं मिलता है। जब किरन बेदी जेलर थीं, तब जेल को आश्रम का नाम दिया था, तभी से जेल में नॉन वेज पर पाबंदी है।खाना जेल का और कैंटीन का मिलता है। हफ्ते में दो दिन घर का खाना आता है। कैंटीन में साउथ इंडियन डिश के अलावा छोले-भटूरे भी हैं कैंटीन से खाने-पीने के अलावा साबुन, पेस्ट, शेव का सामान, कोल्ड ड्रिंक्स, चिप्स, केक, चॉकलेट, बाल्टी, जग, शैंपू, मिनरल वाटर भी मिलता है। हफ्ते में कैंटीन से सिर्फ दो हजार का खाना खरीद सकते हैं |
तिहाड़ जेल की सलाखों के पीछे जब-जब भी वीवीआईपी कैदी आते हैं खुद जेल प्रशासन इनकी सुरक्षा और सुविधा को लेकर परेशान हो जाता हैं। वीआईपी कैदियों की सुरक्षा का खास ख्याल रखना प्रशासन के लिए सबसे बड़ी चुनौती है।
ऐसा नहीं है कि कोई वीआईपी है तो उसे अलग से सुविधाएं दे दी जाएं और कोई छोटा कैदी है तो उसे दबा कर रखा जाए. मगर इन्हें कोर्ट ले जाते और वहाँ से जेल में लाते वक्त ज़रूरत सावधानी बरती जाती है। जहां तक जेल के अंदर की बात है तो यहाँ किसी को कोई खतरे वाली बात नहीं है। जेल के एक अन्य अधिकारी ने बताया कि बड़े कैदियों के आने से उनकी परेशानी इसलिए अधिक बढ़ जाती है कि उनकी देखभाल का काम अधिक बढ़ जाता है। इसके अलावा कई बार इन कैदियों को लेकर आला अधिकारियों की ओर से मीटिंगों के दौर चलते हैं। जेल स्टाफ की परेशानी यह होती है कि जब तक ऐसे बड़े नाम जेल के मेहमान होते हैं तब तक उनकी ड्यूटी बेहद सख्त हो जाती है। ज़रा भी लापरवाही सस्पेंशन का दरवाजा खोल देती है। जेल से बाहर जो लोग लग्जरी में रहने के आदी होते हैं, वे यहाँ आते ही आम कैदी जैसी ज़िन्दगी बिताने पर मजबूर हो जाते हैं। लेकिन तिहाड़ जेल के ही सूत्रों वीवीआईपी कैदियों की जेल में रहते हुए सबसे पहली मांग यह होती है कि उन्हें एयर कंडीशंड रूम दिया जाए. यह सुविधा केवल यहाँ हास्पिटल में ही रहती है।