लोग भले ही मान रहे हों कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी- GST) के दायरे में लाने से पेट्रोल-डीजल (Petrol & Diesel) की कीमतों में बड़ी कमी आ जाएगी, लेकिन बिहार के उप मुख्यमंत्री और जीएसटी (GST) नेटवर्क पैनल के प्रमुख सुशील मोदी की राय इससे अलग है। उनका कहना है कि इससे कीमतों पर कुछ खास असर नहीं पड़ेगा। देश में पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों को देखते हुए लगातार मांग उठ रही है कि इन्हें वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाया जाए ।
मोदी ने कहा, ‘लोगों के बीच यह भ्रम है कि जीएसटी के दायरे में आने से पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतें बहुत कम हो जाएंगी। हालांकि कीमतों पर ऐसा कोई उल्लेखनीय प्रभाव नहीं पड़ेगा।’ उन्होंने टैक्स की ज़्यादा दरों पर अन्य देशों का हवाला भी दिया। उन्होंने कहा कि दुनियाभर के जिन देशों में जीएसटी की व्यवस्था लागू है, वहाँ भी राज्यों को इसकी सर्वोच्च स्लैब से ऊपर टैक्स लगाने का अधिकार मिला हुआ है।
आम लोगों को ऐसा लगता है कि अगर जीएसटी में पेट्रोल-डीजल (Petrol & Diesel) आ जाता तो सस्ता हो जाता। अब सरकार ने भी साफ कर दिया है कि जीएसटी में भी अगर पेट्रोल-डीजल आ गया फिर भी आपको सस्ता नहीं मिलेगा।
इस बार बजट में पेट्रोल-डीजल (Petrol & Diesel) के जीएसटी में आने की चर्चा थी। बजट में तो एलान नहीं हुआ लेकिन लोगों को ऐसा लगता है कि अगर जीएसटी में पेट्रोल-डीजल आ जाता तो सस्ता हो जाता। अब सरकार ने भी इशारा कर दिया है कि जीएसटी में भी अगर पेट्रोल-डीजल आ गया फिर भी आपको सस्ता नहीं मिलेगा।
मान लीजिए की आज डीलर को मुनाफा जोड़कर 38 रुपये 8 पैसे प्रति लीटर पेट्रोल पड़ता है। इस पर केंद्र सरकार 19.48 रुपये एक्साइज ड्यूटी लगाती है और दिल्ली में राज्य सरकार 15.54 रुपये वैट लगाती है। अगर ये दोनों टैक्स हटाकर सरकार जीएसटी की सर्वोच्च दर 28% भी लगा देती तो पेट्रोल पूरे देश में 48 रुपये 74 पैसे मिलने लगता। किन्तु इससे राज्य सरकार को मिलने वाला राजस्व प्रभावित होता है।
राज्यों की आपत्ति की वजह से पेट्रोल-डीजल जीएसटी में नहीं आया लेकिन कुछ समय पूर्व वित्त सचिव हंसमुख अढिया ने साफ कर दिया कि राजस्व केंद्र और राज्य दोनों के लिए ज़रूरी है इसलिए 28 फीसदी जीएसटी लगाकर पेट्रोल-डीजल बेचना संभव नहीं है।
वर्तमान में पेट्रोल और डीज़ल की क़ीमतें सरकारी नियमन से पूरी तरह मुक्त हैं।
लेकिन जब क़ीमतें हर रोज़ बदलेंगी तो पेट्रोलियम कंपनियाँ नहीं चाहेंगी जीएसटी (GST) से पड़ने वाले भार को वह वहन करें। वह इस भार को ग्राहकों पर डालने की पूरी कोशिश करेंगी।
मौजूदा समय में पेट्रोल डीज़ल पर क़रीब 48 प्रतिशत तक टैक्स लगता है। जीएसटी (GST)के तहत टैक्स अधिकतम 28 प्रतिशत तक हो सकता है।
ये तो नहीं कहा जा सकता कि जीएसटी के दायरे में पेट्रोलियम पदार्थों को लाने से दामों में ज़्यादा फ़र्क पड़ता। लेकिन ये ज़रूर है कि इससे क़ीमतें नहीं बढ़तीं।
बिहार के वित्त मंत्री की भी जिम्मेदारी संभाल रहे सुशील मोदी ने कहा कि पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने के बारे में जीएसटी परिषद विचार करेगी। उन्होंने कहा, ‘जीएसटी परिषद में इसको लेकर सहमति है कि जब तक जीएसटी व्यवस्था स्थिर नहीं हो जाती पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में नहीं लाया जाएगा।’ जीएसटी पिछले साल एक जुलाई से प्रभाव में आया है।