टाटा टेलीसर्विसेज का विलय भारती एयरटेल मे

जल्द ही दूरसंचार कंपनी Tata Teleservices का विलय Bharti Airtel में होगा। इस सौदे को दुनिया के सबसे बड़े दूरसंचार बाजारों में से एक भारत में एकीकरण का एक और मजबूत संकेत माना जा रहा है। प्रस्तावित सौदे के तहत टाटा टेलीसर्विसेज (टीटीएसएल) व टाटा टेलीसर्विसेज महाराष्ट्र (टीटीएमएल) के चार करोड़ से अधिक ग्राहक Bharti Airtel में चले जाएंगे। सौदे के बारे में नियमानुसार नियामकीय मंजूरी ली जानी बाकी है।

उल्लेखनीय है कि टाटा समूह की कंपनी Tata Teleservices मोबाइल टेलीफोन कारोबार से निकलते हुए अपनी वित्तीय दिक्कतों पर पार पाने की कोशिश कर रही है। दोनों कंपनियों ने एक साझा बयान में कहा है कि यह सौदा कोई ऋण नहीं-कोई नकदी नहीं आधार पर किया है। यानी Bharti Airtel इसमें Tata Teleservices के 40,000 करोड़ रुपये के कर्ज में कोई हिस्सेदारी नहीं करेगी और न ही नकदी का भुगतान करेगी। यहाँ तक कि टीटीएसएल द्वारा खरीदे गए स्पेक्ट्रम के लिए 9,000-10,000 करोड़ रुपये के विलंबित भुगतान में से 70-80 प्रतिशत हिस्से का भुगतान भी टाटा करेगा।

जंहा तक Bharti Airtel के चेयरमैन सुनील मित्तल का सवाल है उन्होंने ने इस सौदे को भारतीय मोबाइल उद्योग के सुदृढ़ीकरण की दिशा में एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण घटनाक्रम करार दिया है। उन्होंने कहा कि अतिरिक्त स्पेक्ट्रम अधिग्रहण से आकर्षक कारोबारी प्रस्थापना बनेगी। वहीं टाटा संस के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन ने कहा है कि यह समझौता टाटा समूह व इसके भागीदारों के लिए श्रेष्ठ व सबसे बेहतर समाधान है। उन्होंने कहा है कि अनेक विकल्पों पर विचार के बाद ही एयरटेल के साथ यह समझौता किया गया है।

गौरतलब है कि JIO के बाज़ार में आने के बाद से Bharti Airtel लगातार उससे टक्कर लेने के लिए अलग-अलग कंपनियों को अपने साथ जोड़ने का प्रयास भी कर रहा है। शुरुआती कई महीनों तक मुफ्त सेवा मुहैया कराने के बाद अब भी कंपनी काफी कम टैरिफ पर सेवाएं मुहैया करा रही है जिसकी वजह से पुरानी कंपनियों को अपनी दरों में कमी करनी पड़ी। अब इंटरकनेक्ट चार्ज में कमी करने के टेलिकॉम रेग्युलेटर ट्राई के फैसले से कंपनियो को अपनी दरें और कम करनी होंगी। दरअसल इंटरकनेक्ट चार्ज वह चार्ज है जो एक टेलिकॉम कंपनी उस दूसरी टेलिकॉम कंपनी को देती है जिसके नेटवर्क पर उसके ग्राहक कॉल करते हैं।

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