कार्तिक माह की कृष्ण की त्रयोदशी तिथि को Dhanteras का त्यौहार मनाया जाता है। हमारे यंहा इस बार यह पर्व 17 अक्टूबर को मनाया जाएगा। शास्त्रों के अनुसार इस दिन भगवान धनवंतरी का जन्म हुआ था, इसलिए इसे Dhanteras कहते है। भगवान धनवंतरी समुद्र मंथन के दौरान अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे इसलिए इस दिन बर्तन खरीदने की परंपरा है। लेकिन धनतेरस से जुड़ी कई कथाएं हैं जिनसे पता चलता है कि Diwali से पहले धनतेरस क्यों मनाया जाता है।
भगवान धनवंतरी के उत्पन्न होने के दो दिनों बाद देवी लक्ष्मी प्रकट हुई | इसलिए Diwali से दो दिन पहले धनतेरस का त्यौहार मनाया जाता है।शास्त्रों के अनुसार भगवान धनवंतरी देवताओं के वैद्य हैं। इनकी भक्ति और पूजा से आरोग्य सुख यानी स्वास्थ्य लाभ मिलता है। मान्यता है कि भगवान धनवंतरी विष्णु के ही अंशावतार हैं। संसार में चिकित्सा विज्ञान के विस्तार और प्रसार के लिए ही भगवान विष्णु ने धनवंतरी का अवतार लिया था।
Dhanteras से जुड़ी एक दूसरी कथा भी है कि कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी यानी के धन तेरस के दिन देवताओं के कार्य में बाधा डालने के कारण भगवान विष्णु ने असुरों के गुरु शुक्राचार्य की एक आँख फोड़ दी थी। कथा के अनुसार, देवताओं को राजा बलि के भय से मुक्ति दिलाने के लिए भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया और राजा बलि के यज्ञ स्थल पर पहुंच गये। शुक्राचार्य ने वामन रूप में भी भगवान विष्णु को पहचान लिया और राजा बलि से आग्रह किया कि वामन कुछ भी मांगे उन्हें इंकार कर देना। वामन साक्षात भगवान विष्णु हैं। वह देवताओं की सहायता के लिए तुमसे सब कुछ छीनने आये हैं।
बलि ने शुक्राचार्य की बात नहीं मानी। वामन भगवान द्वारा मांगी गयी तीन पग भूमि, दान करने के लिए कमण्डल से जल लेकर संकल्प लेने लगे। बलि को दान करने से रोकने के लिए शुक्राचार्य राजा बलि के कमण्डल में लघु रूप धारण करके प्रवेश कर गये। इससे कमण्डल से जल निकलने का मार्ग बंद हो गया। वामन भगवान शुक्रचार्य की चाल को समझ गये। भगवान वामन ने अपने हाथ में रखे हुए कुशा को कमण्डल में ऐसे रखा कि शुक्राचार्य की एक आँख फूट गयी। शुक्राचार्य छटपटाकर कमण्डल से निकल आये। बलि ने संकल्प लेकर तीन पग भूमि दान कर दिया।
हमारे सभी पाठकों को धनतेरस एवं दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं ।