10 जुलाई 2017 को भारत के जम्मू एवं काश्मीर राज्य में अमरनाथ यात्रा पर एक बड़ा आतंकी हमला हुआ। इस घटना में 7 अमरनाथ यात्रियों के मारे जाने की खबर है और लगभग 15 यात्री घायल हो गये थे । इस घटना में मारे गये सभी यात्री गुजरात के हैं। आतंकवादियों ने अमरनाथ यात्रा से वापस आ रहे यात्रियों की एक बस पर फायरिंग की है। जानकारी के मुताबिक ये हमला तब हुआ जब यात्री बस के जरिये अमरनाथ गुफा से वापस आ रहे थे। फायरिंग की चपेट में लगभग 15 यात्री आए हैं, सुरक्षा में तैनात कुछ 3 पुलिसकर्मियों को भी गोलियां लगी है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ये आतंकी हमला 3 जगहों पर हुआ है। रिपोर्ट्स के मुताबिक पहला हमला जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग के बटेंगों में हुआ, बटेंगों में ही गुजरात की बस पर आतंकवादियों ने फायरिंग की। खबरों के मुताबिक ये बस काफिले से अलग चल रही थी और रास्ते में एक स्थान पर रुकी थी। मारे गये 7 अमरनाथ यात्रियों में 5 यात्री महिलाएं हैं। खबरों के मुताबिक, दूसरी गोलीबारी खानाबल चौक पर हुई। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ये हमला रात 8 बजकर 20 मिनट पर हुआ था ।
हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकी कमांडर बुरहान वानी को मरे एक साल होने को आए लेकिन अब भी उसका भूत जम्मू कश्मीर राज्य सरकार का पीछा नही छोड़ रहा है क्या सर्कार को और सुरक्षा एजेंसियों को जानकारी नहीं थी की बुरहान वानी की बरसी के उपलश्य में अलगाववादी गुट पहले ही 8 जुलाई से 13 जुलाई तक हड़ताली कैलेंडर के दौरान विरोध प्रदर्शनों की तैयारी कर चुका है तथा इस दरमियान किसी भी प्रकार का आतंकी हमला हो सकता है ।
जिस बस पर हमला हुआ वो बस गुजरात के बनासकांठा जिला की थी। इस बस का अमरनाथ श्राईन बॉर्ड में पंजीकरण नहीं हुआ था इस कारण बस को सुरक्षा नहीं मिली थी इसलिये ये बस अकेली ही आ रही थी और यात्री अमरनाथ के दर्शन करने के बाद पुन: जम्मू की और प्रस्थान कर रहे थे जब आक्रमण किया गया।
क्या ये बात हमारी सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोलती प्रतीत नहीं होती की उक्त बस का अमरनाथ श्राईन बॉर्ड में पंजीकरण ही नहीं हुआ था ।
सबसे बड़ी बात ये है देश के एक बड़े न्यूज़ चैनल (NDTV ) ने अपने वेबसाइट पर लिखे एक ब्लॉग में खुले शब्दों में इस प्रकार की कुछ अनहोनी की आशंका व्यक्त की थी । उक्त ब्लॉग के कुछ अंश की छाया प्रति ( khabar.ndtv.com से साभार )
शायद इसे गंभीरता से लिया जाता तो हादसा या हमला नाकाम हो सकता था |