लड़ाकू विमान उड़ाने वाली देश की पहली तीन Women Fighter Pilots अगले महीने इतिहास रचने को तैयार हैं। ये तीनों पायलट तीन हफ्ते की कठोरतम सैनिक प्रशिक्षण के बाद सेना का जंगी विमान उड़ाएंगी। भावना कंठ, अवनी चतुर्वेदी और मोहना सिंह को पिछले साल जुलाई में फ्लाइंग ऑफिसर के तौर पर भारतीय वायुसेना में कमीशन मिला था। युद्ध क्षेत्र को प्रयोग के तौर पर महिलाओं के लिए खोलने के सरकार के फैसले के एक साल से भी कम समय में तीनों को कमीशन दे दिया गया। वायुसेना प्रमुख बीएस धनोआ ने कहा कि आपको जानकर खुशी होगी कि उड़ान के लिए कठिन अभ्यास के बावजूद इन तीनों का प्रदर्शन अन्य पायलटों के प्रदर्शन की तरह ही बहुत उत्कृष्ट रहा है। तीनों Women Fighter Pilots के प्रशिक्षण में शामिल वायुसेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ये अगले महीने लड़ाकू विमान जेट को उड़ाएंगी।
आइये जानते है कौन है ये देश की बहादुर बेटियां
भावना कंठ
भावना का जन्म 1 दिसम्बर 1992 को बेगुसराय के बरौनी में हुआ था। उनके पिता इंडियन ऑयल कंपनी में इंजीनियर हैं। ‘मेधा पुरस्कार’ भावना को मिला आईओसीएल से 10वीं कक्षा में अपनी परीक्षा में 90% से जादा अंक लेने पर। भारतीय वायु सेना में एक पायलट बनने का बचपन का सपना था भावना का जो पूरा हो गया। बेगुसराय के बरौनी रिफ़ाइनरी टाउनशिप में डीएवी विद्यालय में उनकी पढ़ाई हुई और बाद में वह राजस्थान में कोटा चली गई. भावना ने बेंगलुरु में बीएमएस कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में मेडिकल इलेक्ट्रॉनिक्स स्ट्रीम में अपनी इंजीनियरिंग करने का फैसला किया।फिर उसने भारतीय वायु सेना परीक्षा दी और इसमें सफल भी हुई | जल्द ही भारत की पहली Women Fighter Pilots में से एक बन गई । अब ये Women Fighter Pilots भारतीय सेना का जंगी विमान उड़ाएंगी ।
अवनि चतुर्वेदी
अवनि चतुर्वेदी Women Fighter Pilots रीवा जिले से है जो मध्य प्रदेश में है। उन्हें अपनी दो साथियों-मोहन सिंह और भावना कंठ के साथ पहली बार लड़ाकू पायलट घोषित किया गया था। इन तीनों को जून 2016 में भारतीय वायु सेना के लड़ाकू स्क्वाड्रन में शामिल किया गया। उन्हें औपचारिक रूप से तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर द्वारा कमीशन में शामिल किया गया था। 22-वर्षीय अवनि चतुर्वेदी ने अपना पूरा प्रशिक्षण हैदराबाद की वायु सेना अकादमी से लिया। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा दियोलैंड से की जो कि मध्य प्रदेश के शहडोल जिले में स्थित एक छोटा-सा शहर है। उन्होंने 2014 में अपनी स्नातक प्रौद्योगिकी वनस्थली विश्वविद्यालय, राजस्थान से करते हुए भारतीय वायु सेना की परीक्षा भी पारित की।
उनके पिता एक कार्यकारी इंजीनियर और माता एक गृहिणी हैं। अवनि को टेनिस खेलना और चित्रकारी करना पसंद है। उन्हें अपने परिवार के सेना अधिकारियों द्वारा प्रेरणा प्राप्त हुई. उन्हें अपने महाविद्यालय के फ्लाइंग क्लब से कुछ घंटे की उड़ान का अनुभव भी प्राप्त हुआ जिसने उन्हें भारतीय वायुसेना में शामिल होने के लिए प्रेरित किया। अपने प्रशिक्षण का एक वर्ष पूरा करने के पश्चात वह जून में Women Fighter Pilots बनी। अपने प्रशिक्षण के तीसरे चरण को पूरा करने के पश्चात वह लड़ाकू जेट विमानों जैसे सुखोई और तेजस को उड़ाने में सक्षम हो जाएंगी।
मोहना सिंह
मोहना के पिता प्रताप सिंह भी एयरफोर्स में जॉब करते हैं। वंही इनके दादा लादूराम भी सेना में लासं नायक थे। 1948 में पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध में लादूराम जाट शहीद हो गए थे। उन्हें वीर चक्र से सम्मानित किया गया था। मोहना सिंह के दादा के नाम पर उनके गांव पापड़ा में स्कूल का नाम भी रखा गया था। शहीद लादूराम की याद में पापड़ा गांव के राप्रावि का नामकरण वीर चक्र लांस नायक लादुराम राप्रावि किया गया। लेकिन, दो साल पहले सरकार ने समानीकरण के नाम पर स्कूल को बंद कर दिया था। वर्तमान में ये स्कूल रामावि के अधीन चल रही है। मोहना सिंह का परिवार करीब 20 वर्ष पहले यहाँ से झुंझुनूं के नजदीकी गांव खतेहपुरा में जाकर बस गया। तब से वहीं रह रहे हैं। गांव की बुजुर्ग महिला सुंदरी देवी ने बताया कि परिवार में शादी व आवश्यक काम होने पर ही वे पापड़ा आते हैं। अब उनकी पुरानी हवेली में काेई भी नहीं रहता है।
मोहना सिंह ने भी भारतीय वायु सेना परीक्षा दी और इसमें सफल भी हुई | जल्द ही भारत की पहली Women Fighter Pilots में से एक बन गई और अब ये महिला लड़ाकू पायलट भारतीय सेना का जंगी विमान उड़ाएंगी।