Black Money And Shell Companies के खिलाफ लड़ाई में मोदी सरकार को हाल ही में अहम जानकारी मिली है। नोटबंदी के बाद संदिग्ध ट्रांजैक्शन के बारे में 13 बैंकों ने अहम आंकड़े सरकार को दिए है। बैंको के माध्यम से इनमें 5800 कंपनियों की ओर से किए गए संदिग्ध लेनदेन का पता चला है। केंद्र सरकार के मुताबिक, ये उन के हैं जिन पर नोटबंदी के बाद कंपनी रजिस्ट्रार ने पाबंदी लगा दी थी। यह बैंकों की ओर से जारी डाटा की पहली इन्स्टॉलमेंट है। यानी की ये शुरुवात है। आगे-आगे देखते हैं कि होता है क्या?
Ministry Of Corporate Affairs के अनुसार, बैंकों की ओर से करीब 5800 कंपनियां में 13140 अकांउट्स के आंकड़े मिले हैं। कई कंपनियों के नाम से 100 से भी कंही ज्यादा अकाउंट मिले है। यंहा तक की इनमें से एक कंपनी के पास 2134 अकाउंट मिले हैं। इसके बाद कई कंपनियों के पास 900 से 300 के बीच अकाउंट थे।
Ministry Of Corporate Affairs की ओर से जारी ताजे स्टेटमेंट के अनुसार, 13 बैंकों ने आंकड़ों की पहली लिस्ट सरकार को हाल ही में सौंपी है। इसमें मिले आंकड़े नोटबंदी के पहले अकाउंट बैलेंस और नोटबंदी के दौरान इन कंपनियों के अकाउंट्स में हुए ट्रांजैक्शन से जुड़े हैं। इसमें बताया गया है कि Loan accounts को अलग करने के बाद इन कंपनियों के अकाउंट में 8 नवंबर 2016 को महज 22.05 करोड़ रुपए का बैलेंस था। हालांकि, 9 नवंबर 2016 (यानी नोटबंदी के बाद) से उन कंपनियों पर पाबंदी लगाए जाने तक इनके अकाउंट्स में 4, 573.87 करोड़ रुपए जमा हुए और 4, 552 करोड़ रुपए निकाले भी गए थे।
सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, सबसे चौंकाने वाला आंकड़ा यह है कि कंपनियों के पास मल्टीपल अकाउंट्स थे और कई अकाउंट्स में 8 नवंबर 2016 को मामूली या निगेटिव बैलेंस था। अचानक इनमें हजारों करोड़ रुपए के ट्रांजैक्शन हुए | इसके बाद ये सारे अकाउंट्स मामूली बैलेंस के साथ एक फिर डॉरमेंट अकाउंट हो गए । आपकी जानकारी के लिए बता दें की डॉरमेंट अकाउंट्स ऐसे अकाउंट होते हैं, जिनमें ब्याज के अलावा लंबे समय से कोई लेनदेन नहीं होता है। कई ऐसी कंपनियां हैं, जिन्होंने पांबदी के बाद भी अकाउंट्स में डिपॉजिट और विड्राल किये है।
एक सरकारी अध्ययन से मुताबिक उदाहरण के लिए एक बैंक में 429 कंपनियों के अकाउंट्स में 8 नवंबर 2016 को जीरो बैलेंस था। 11 करोड़ रुपए से ज्यादा का लेनदेन हुआ और अकाउंट्स फ्रीज होने की तारीख तक इसमें दोबारा से बैलेंस महज 42 हजार रुपए ही रह गया था।
इसी तरह एक दूसरे बैंक में मल्टीपल अकाउंट वाली 3000 से भी कंही ज्यादा कंपनियां थीं। इनके कुल अकाउंट्स में 8 नवंबर 2016 को करीब 13 करोड़ रुपए बैलेंस था। इसके बाद इनमें करीब 3800 करोड़ रुपए का लेनदेन हुआ। इन अकाउंट्स के फ्रीज होने से पहले फिर कुछ 200 करोड़ रुपए निगेटिव बैलेंस हो गया।
अभी जितनी संदिग्ध कंपनियों के बारे में आंकड़े आए हैं, वह कुछ संदिग्ध कंपनियों का सिर्फ़ 2.5 फीसदी है। ऐसे में बैंकों की तरफ से आगे और आंकड़े आते हैं तो जाहिर तौर पर Black Money की बड़ी रकम का खुलासा हो सकता है। बता दें कि सरकार की ओर से जांच एजेंसियों को तय समय में ज़रूरी जांच पूरी करने के लिए कहा गया है। यानी की इसमें और बड़े खुलासे सामने आ सकते है।