Deprecated: strpos(): Passing null to parameter #1 ($haystack) of type string is deprecated in /home/s4m9gzw4bf3n/public_html/digitalworldupdates.com/wp-includes/functions.php on line 7241

Deprecated: str_replace(): Passing null to parameter #3 ($subject) of type array|string is deprecated in /home/s4m9gzw4bf3n/public_html/digitalworldupdates.com/wp-includes/functions.php on line 2187

Deprecated: strpos(): Passing null to parameter #1 ($haystack) of type string is deprecated in /home/s4m9gzw4bf3n/public_html/digitalworldupdates.com/wp-includes/functions.php on line 7241

Deprecated: str_replace(): Passing null to parameter #3 ($subject) of type array|string is deprecated in /home/s4m9gzw4bf3n/public_html/digitalworldupdates.com/wp-includes/functions.php on line 2187

Deprecated: strpos(): Passing null to parameter #1 ($haystack) of type string is deprecated in /home/s4m9gzw4bf3n/public_html/digitalworldupdates.com/wp-includes/functions.php on line 7241

Deprecated: str_replace(): Passing null to parameter #3 ($subject) of type array|string is deprecated in /home/s4m9gzw4bf3n/public_html/digitalworldupdates.com/wp-includes/functions.php on line 2187

Deprecated: strpos(): Passing null to parameter #1 ($haystack) of type string is deprecated in /home/s4m9gzw4bf3n/public_html/digitalworldupdates.com/wp-includes/functions.php on line 7241

Deprecated: str_replace(): Passing null to parameter #3 ($subject) of type array|string is deprecated in /home/s4m9gzw4bf3n/public_html/digitalworldupdates.com/wp-includes/functions.php on line 2187

Deprecated: strpos(): Passing null to parameter #1 ($haystack) of type string is deprecated in /home/s4m9gzw4bf3n/public_html/digitalworldupdates.com/wp-includes/functions.php on line 7241

Deprecated: str_replace(): Passing null to parameter #3 ($subject) of type array|string is deprecated in /home/s4m9gzw4bf3n/public_html/digitalworldupdates.com/wp-includes/functions.php on line 2187

Deprecated: strpos(): Passing null to parameter #1 ($haystack) of type string is deprecated in /home/s4m9gzw4bf3n/public_html/digitalworldupdates.com/wp-includes/functions.php on line 7241

Deprecated: str_replace(): Passing null to parameter #3 ($subject) of type array|string is deprecated in /home/s4m9gzw4bf3n/public_html/digitalworldupdates.com/wp-includes/functions.php on line 2187
भारत के रहस्यमय स्थान - Digital World Updates

भारत के रहस्यमय स्थान

आइये आज हम देखतें है भारत के कुछ रहस्यमय स्थानो को जिन्हे जानकर आप भी दांतो तले ऊँगली दबाने को मजबर हो जायेंगे।

कमरुनाग झील

सबसे पहले हम आपको एक ऐसी झील के बारे में बताने जा रहे है जिसके बारे में कहा जाता है कि उसमे अरबो रुपए का खजाना दफन है, हिमाचल प्रदेश के पहाड़ो में स्थित kamrunag lake पुरे साल में 14 और 15 जून को यानी देसी महीने के हिसाब से एक तारीख और हिमाचली भाषा में साजा, गर्मियों के इन दो दिनों में बाबा कमरुनाग पूरी दुनिया को दर्शन देते है। इसलिए लोगों का यहाँ जन सेलाव पहले ही उमड पड़ता है। क्योंकि बाबा घाटी के सबसे बड़े देवता हैं और हर मन्नत पुरी करते हैं। हिमाचल प्रदेश के मण्डी से लगभग 60 किलोमीटर दूर आता है रोहांडा, यहीं से पैदल यात्रा शुरु होती है। कठिन पहाड़ चड़कर घने जंगल से होकर गुजरना पड़ता है। इस तरह लगभग 8 किलोमीटर चलना पड़ता है।

मंदिर के नजदीक ही बड़ी एक झील है, जिसे kamrunag lake के नाम से जाना जाता है। यहाँ पर लगने वाले मेले में हर साल भक्तों की काफी भीड़ जुटती है और पुरानी मान्यताओं के अनुसार भक्त झील में सोने-चांदी के गहनें तथा पैसे डालते हैं। सदियों से चली आ रही इस परम्परा के आधार पर यह माना जाता है कि इस झील के गर्त में अरबों का खजाना दबा पड़ा है।

कमरुनाग जी का नाम महाभारत में भी आता है। इन्हें बबरुभान जी के नाम से भी जाना जाता था। ये धरती के सबसे शक्तिशाली योद्या थे। लेकिन कृष्ण की नीति से हार गए | इन्होने कहा था कि कोरवों और पांडवों का युद्ध देखेंगे और जो सेना हारने लगेगी में उसका साथ दुंगा। लेकिन यंहा पर भगवान् कृष्ण स्वयं भी डर गए कि इस तरह अगर इन्होने कोरवों का साथ दे दिया तो पाण्डव जीत नहीं पायेंगे। कृष्ण जी ने एक शर्त लगा कर इन्हे हरा दिया और बदले में इनका सिर मांग लिया। लेकिन कमरुनाग जी ने एक खवाइश जाहिर की कि वे महाभारत का युद्ध देखेंगे। इसलिए भगवान् कृष्ण ने इनके काटे हुए सिर को हिमालय के एक उंचे शिखर पर पहुंचा दिया। लेकिन जिस तर्फ इनका सिर घूमता वह सेना जीत की ओर बढ्ने लगती। तब भगवान कृष्ण जी ने सिर को एक पत्थर से बाँध कर इन्हे पांडवों की तरफ घुमा दिया। इन्हें पानी की दिक्कत न हो इसलिए भीम ने यहाँ अपनी हथेली को गाड कर एक झील बना दी।

ऐसी मान्यता है कि यहाँ से कोई भी इस खज़ाने को चुरा नहीं सकता। क्योंकि माना जाता है कि कमरुनाग के खामोश प्रहरी इसकी रक्षा करते हैं। एक नाग की तरह दिखने बाला पेड इस पहाड के चारों ओर है। जिसके बारे में कहते हैं कि ये नाग देवता अपने असली रूप में आ जाता है। अगर कोई इस झील के खजाने को हाथ भी लगाए ।  अतः कोई भी इस खजाने को हथियाने के बारे में व्यर्थ में न विचार करें।

रहस्यमयी और अलौकिक निधिवन

भारत में कई ऐसी जगह है जो अपने दामन में अनेको रहस्यों को समेटे हुए है ऐसी ही एक जगह है वृंदावन में स्थित Nidhivan जिसके बारे में मान्यता है कि यहाँ आज भी हर रात कृष्ण-गोपियों संग रास रचाते है। यही कारण है कि सुबह खुलने वाले Nidhivan को संध्या आरती के पश्चात बंद कर दिया जाता है। उसके बाद वहाँ कोई नहीं रहता है यहाँ तक की निधिवन में दिन में रहने वाले पशु-पक्षी भी संध्या होते ही निधि वन को छोड़कर चले जाते है।

जो भी छुप कर देखता है रासलीला हो जाता है पागल

वैसे तो रोज शाम होते ही Nidhivan बंद हो जाता है और सब लोग यहाँ से चले जाते है। लेकिन फिर भी यदि कोई छुपकर रासलीला देखने की कोशिश करता है तो वह पागल हो जाता है। ऐसा ही एक वाक़या करीब 10 वर्ष पूर्व हुआ था जब जयपुर से आया एक कृष्ण भक्त रास लीला देखने के लिए Nidhivan में छुपकर बैठ गया था। जब सुबह निधि वन के गेट खुले तो वह बेहोश अवस्था में मिला, उसका मानसिक संतुलन बिगड़ चूका था वह पागल हो चूका था। ऐसे अनेक किस्से यहाँ के लोग बताते है। ऐसे ही एक अन्य वयक्ति थे पागल बाबा जिनकी समाधि भी निधि वन में बनी हुई है। उनके बारे में भी कहा जाता है कि उन्होंने भी एक बार निधि वन में छुपकर रास लीला देखने की कोशिश की थी। जिससे की वह पागल हो गए थे। चुकी वह कृष्ण के अनन्य भक्त थे इसलिए उनकी मृत्यु के पश्चात मंदिर कमेटी ने निधि वन में ही उनकी समाधि बनवा दी।

निधि वन के अंदर ही है ‘रंग महल’ है जिसके बारे में मान्यता है कि रोज़ रात यहाँ पर राधा और कन्हैया आते है। रंग महल में राधा और कन्हैया के लिए रखे गए चंदन की पलंग को शाम सात बजे के पहले सजा दिया जाता है। पलंग के बगल में एक लोटा पानी, राधाजी के शृंगार का सामान और दातुन संग पान रख दिया जाता है। आपको जानकर आश्चर्य होगा की सुबह पांच बजे जब ‘रंग महल’ का पट खुलता है तो बिस्तर अस्त-व्यस्त, लोटे का पानी खाली, दातुन कुची हुई और पान खाया हुआ मिलता है। रंगमहल में भक्त केवल शृंगार का सामान ही चढ़ाते है और प्रसाद स्वरुप उन्हें भी शृंगार का सामान मिलता है।

Nidhivan के पेड़ भी बड़े अजीब है जहाँ हर पेड़ की शाखाएं ऊपर की और बढ़ती है वही Nidhivan के पेड़ो की शाखाएं नीचे की और बढ़ती है। हालात यह है कि रास्ता बनाने के लिए इन पेड़ों को डंडों के सहारे रोक गया है।

Nidhivan की एक अन्य खासियत है यहाँ के तुलसी के पेड़ है। Nidhivan में तुलसी का हर पेड़ जोड़े में है। इसके पीछे यह मान्यता है कि जब राधा संग कृष्ण वन में रास रचाते हैं तब यही जोड़ेदार पेड़ गोपियां बन जाती हैं। जैसे ही सुबह होती है तो सब फिर तुलसी के पेड़ में बदल जाती हैं। साथ ही एक अन्य मान्यता यह भी है कि इस वन में लगे जोड़े की वन तुलसी की कोई भी एक डंडी नहीं ले जा सकता है। लोग बताते हैं कि‍ जो लोग भी ले गए वह किसी न किसी आपदा का शिकार हो गए । इसलिए कोई भी इन्हें नहीं छूता।

Nidhivan में ही बंसी चोर राधा रानी का बहुत ही सुंदर मंदिर भी है। यहाँ के महंत लोग बताते हैं कि जब राधा जी को लगने लगा कि कन्हैया हर समय बंसी ही बजाते रहते हैं, उनकी तरफ ध्यान नहीं देते, तो उन्होंने कान्हा की बंसी चुरा ली थी। इस मंदिर में कृष्ण जी की सबसे प्रिय गोपी ललिता जी की भी मूर्ति राधा जी के साथ है।

Nidhivan में स्थित विशाखा कुंड के बारे में कहा जाता है कि जब भगवान श्रीकृष्ण सखियों के साथ रास रचा रहे थे, तभी एक सखी विशाखा को प्यास लगी। कोई व्यवस्था न देख कृष्ण ने अपनी बंसी से इस कुंड की खुदाई कर दी, जिसमें से निकले पानी को पीकर विशाखा सखी ने अपनी प्यास बुझायी। इस कुंड का नाम तभी से विशाखा कुंड पड़ गया।

विशाखा कुंड के पास ही ठाकुर बिहारी जी महाराज का प्राकट्य स्थल भी है। ऐसा कहा जाता है कि संगीत सम्राट एवं धु्रपद के जनक स्वामी हरिदास जी महाराज ने अपने स्वरचित पदों का वीणा के माध्यम से मधुर गायन करते थे, जिसमें स्वामी जी इस प्रकार तन्मय हो जाते कि उन्हें अपने तन-मन की सुध नहीं रहती थी। बांके बिहारी जी ने उनके भक्ति संगीत से प्रसन्न होकर उन्हें एक दिन स्वप्न दिया और बताया कि मैं तो तुम्हारी साधना स्थली में ही विशाखा कुंड के समीप जमीन में छिपा हुआ हूँ। स्वप्न के आधार पर हरिदास जी ने अपने शिष्यों की सहायता से बिहारी जी को वहा से निकलवाया और उनकी सेवा पूजा करने लगे। ठाकुर बिहारी जी का प्राकट्य स्थल आज भी उसी स्थान पर बना हुआ है।

समयाभाव के कारन हम आपको आज ये दो रहस्मय स्थान ही दिखा पा रहे है  हम अपने अगले ब्लॉग में बाकी के रहस्मय स्थानो का वर्णन करेंगे ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *