हिन्दू धर्म में चार धाम का बहुत ही महत्त्व है। उन्ही चार धामों में से एक है पुरी का जगन्नाथ मंदिर है, जो भगवान जगन्नाथ (Jagannath Temple) का स्वरुप है। यह भारत के उड़ीसा राज्य के शहर पुरी में स्थित है। जगन्नाथ शब्द का अर्थ विश्व के स्वामी होता है। इनकी नगरी ही जगन्नाथपुरी कहलाती है। यह मंदिर वैष्णव सम्प्रदाय का मंदिर कहा जाता है, जो भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण का एक रूप है।
मंदिर के संदर्भ से जुड़ी परंपरागत किवदंती के अनुसार, भगवान जगन्नाथ की इंद्रनील या नीलमणि से निर्मित मूल मूर्ति, एक अगरु वृक्ष के नीचे मिली थी। यह इतनी चकचौंध करने वाली थी कि धर्म ने इसे जमीं के नीचे छुपाना चाहा। एक राजा इंद्रद्युम्न को स्वप्न में यही मूर्ति दिखाई दी थी। तब उसने कड़ी तपस्या की और तब भगवान विष्णु ने उसे बताया कि वह पुरी के समुद्र तट पर जाये और वंहा उसे एक लकड़ी का लठ्ठा मिलेगा। उसी लकड़ी से वह भगवान की एक मूर्ति का निर्माण कराये। उस राजा ने ऐसा ही किया और उसे उसी स्थान पर लकड़ी का लठ्ठा मिल भी गया। उसके बाद देव अभियंता विश्वकर्मा बढ़ई कारीगर और मूर्तिकार के रूप में उसके सामने उपस्थित हुए | किंतु उन्होंने यह शर्त रखी कि वे एक माह में यह मूर्ति तैयार कर देंगे, परन्तु जब तक मूर्ति नहीं बन जाती तब तक वह एक कमरे में बंद रहेंगे और राजा या कोई भी उस कमरे के अंदर नहीं आये। तीसवें दिन जब कई दिनों तक कोई भी आवाज नहीं आयी, तो उत्सुकता वश राजा ने उस कमरे में झांका और वह वृद्ध कारीगर द्वार खोलकर बाहर आ गया और राजा से स्पष्ट रूप से कहा कि मूर्तियाँ अभी अपूर्ण हैं, उनके हाथ अभी नहीं बने थे। राजा के अफसोस करने पर, मूर्तिकार ने बताया कि यह सब भगवन की इच्छा से हुआ है और यह मूर्तियाँ ऐसे ही स्थापित होकर पूजी जायेंगीं। तब वही तीनों जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियाँ मंदिर में स्थापित की गयीं।
हिन्दू पंचांग के अनुसार यहाँ हर आषाढ़ महीने में विशाल रथयात्रा का भव्य आयोजन होता है। इस रथ की रस्सियों खींचने और छूने मात्र के लिए पूरी दुनिया से श्रद्धालु यहाँ आते हैं, क्योंकि भगवान जगन्नाथ के भक्तों की मान्यता है कि इससे मोक्ष की प्राप्ति होती है। ये तो हैं जगन्नाथ पूरी मंदिर (Jagannath Temple) से जुडी हुई मान्यताएँ, जिसे आप मानें या न मानें यह आपकी आस्था और विश्वास पर निर्भर करता है।
क्या आप जानते है ? यह मंदिर आस्था के साथ-साथ अपने इन रहस्यों के लिए भी प्रसिद्ध है। जगन्नाथ मंदिर के ऊपर फहराता हुआ ध्वज हमेशा हवा के विपरीत दिशा लहराता है। पुरी के हर मंदिर के शिखर पर सुदर्शन चक्र ही मिलता है। यह परंपरा का रहस्य किसी को नहीं पता है। मान्यता है कि जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Temple) के ऊपर कोई चि़ड़िया भी नहीं उड़ती है। जगन्नाथ मंदिर के ऊपर से हवाई जहाज या हेलिकॉप्टर उड़ाना निषिद्ध है।
जगन्नाथ मंदिर के शिखर की छाया सदैव अदृश्य रहती है।
कहते हैं जगन्नाथ मंदिर की रसोई घर में कभी भोजन की कमी नहीं होती है, चाहे कितने ही श्रद्धालु यहाँ भोजन करें।
मंदिर के सिंहद्वार से पहला कदम अंदर रखने पर ही आप समुद्र की लहरों से आने वाली आवाज को नहीं सुन सकते। आश्चर्य में डाल देने वाली बात यह है कि जैसे ही आप मंदिर से एक कदम बाहर रखेंगे, वैसे ही समुद्र की आवाज सुनाई देने लगती है। यह अनुभव शाम के समय और भी अलौकिक लगता है।