आज फेसबुक (Facebook) डाटा चोरी से जुड़ा मामला पूरी दुनिया में गरमाया हुआ है। इस विवाद के चलते फेसबुक के मालिक मार्क जुकरबर्ग को 4 अरब का भारी भरकम फटका भी लग चुका है। कहा तो यह भी हैं कि इसी ‘डाटा चोरी’ के दम पर डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव में सफलता हासिल की। इस विवाद के सामने आने के बाद आज पूरी दुनिया में निजता के मुद्दे पर बवाल मचा हुआ है। यह सवाल उठ रहे हैं कि क्या आपका फेसबुक डाटा सुरक्षित है?
नामी गिरामी कम्पनियों ने अपने फेसबुक (Facebook) पेज डिलीट करना शुरू कर दिए हैं ।
कहा जाता है कि ब्रिटिश डाटा एनालिटिक्स फर्म ‘कैम्ब्रिज एनालिटिका’ ताजा फेसबुक डाटा चोरी विवाद की जड़ है। इस फर्म पर 5 करोड़ फेसबुक यूजर्स के डाटा को चुराने और उसका इस्तेमाल ‘चुनाव प्रचार’ में करने का आरोप है। 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में यह कंपनी डोनाल्ड ट्रंप को भी सर्विस दे चुकी है और यह खुलासा न्यूयॉर्क टाइम्स और लंदन ऑब्जर्वर की रिपोर्ट में किया जा चुका है। यहाँ से आपके मनोमस्तिष्क में कई सवाल आ रहे होंगे। अब तक तो यह भी कहा जा रहा है कि क्या अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने भी इसी तरह से चुनाव जीता है?
महत्त्वपूर्ण बात यह भी है कि आंकड़ों की चोरी की बात स्वयं फेसबुक के संस्थापक मार्क जकरबर्ग (Mark Zuckerberg) ने स्वीकार की है। उनकी यह स्वीकारोक्ति भारत के सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद की धमकी के बाद आई है, इसलिए यह माना जा सकता है कि उनकी चिंता में भारत के 25 करोड़ फेसबुक यूज़र शामिल हैं। अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के चुनाव में रूस के हस्तक्षेप की जांच चल रही है और उसमें यह बात उभर रही है कि कैंब्रिज एनालिटिका ने फेसबुक के सदस्यों को प्रलोभन देकर उनका डेटा इकट्ठा किया और फिर उनकी राय बदलने के लिए फर्जी खबरों, विज्ञापनों और ब्लागों का सिलसिला शुरू कर दिया।
भारतीय मीडिया में भारत से जुड़ी जानकारी को बेचने के मामले में ब्रिटिश कंपनी कैंब्रिज एनालिटिका को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। साथ ही, इस तरह की निजी जानकारी से जुड़े डाटा की चोरी के लिए फेसबुक को भी बराबर जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। यह भी सवाल किया जा रहा है कि क्या फेसबुक किसी भी दूसरे देश या प्रशासन से ज़्यादा ताक़तवर ज़रिया हो चुका है ?
चर्चा में है कि वर्ष 2016 में अमेरिका के राष्ट्रपति चुनावों में डोनाल्ड ट्रंप की मदद करने वाली कंपनी कैम्ब्रिज एनालिटिका ने फेसबुक के पांच करोड़ से अधिक यूजर्स की निजी जानकारियाँ ‘चुरा’ ली थीं। जब पहली बार यह कहा गया था कि रूस ने फेसबुक का इस्तेमाल 2016 के अमेरिकी चुनावों को प्रभावित करने के लिए किया था, तब मार्क जकरबर्ग (Mark Zuckerberg) ने इन आरोपों को ‘बकवास वाली बात’ करार दिया था। पर कई महीनों बाद उन्होंने फेसबुक पर वायरल होने वाले झूठ को रोकने के लिए कई उपायों की घोषणा की थी।
अगर फेसबुक डाटा चोरी में डाटा सुरक्षा के उल्लंघन का मामला नहीं है फिर क्या है? यह कंपनियों के लिए चिंता का विषय नहीं है और अगर यह सबकुछ जो हुआ, वह कानून का उल्लंघन नहीं है तो दो अरब फेसबुक (Facebook) यूजर्स को चिंतित होने की ज़रूरत है भी या नहीं? यह कोई रहस्य नहीं है कि फेसबुक ने अप्रत्याशित रूप से कमाई की है और कंपनी अमीर बनी है लेकिन ज्यादातर यूजर को यह नहीं पता है कि सोशल मीडिया कंपनियाँ उनके बारे में कितना जानती हैं और क्या इस जानकारी का भी कोई ग़लत इस्तेमाल हो सकता है?