वृहद सेंट्रल विस्टा परियोजना (Central Vista) की घोषणा सितंबर 2019 में की गई थी. इसके अंतर्गत त्रिकोण के आकार वाले नए संसद भवन का निर्माण किया जाएगा जिसमें 900 से 1,200 सांसदों के बैठने की व्यवस्था होगी. इसका निर्माण अगस्त 2022 तक पूरा होना सम्भावी है. उसी वर्ष स्वंत्रत भारत का 75वां स्वतंत्रता दिवस मनाएगा. इस परियोजना के तहत साझा केंद्रीय सचिवालय का निर्माण 2024 तक पूरा होने की उम्मीद है । इसके साथ ही इंडिया गेट से राष्ट्रपति भवन तक तीन किलोमीटर लंबे ‘राजपथ’ में भी परिवर्तन प्रस्तावित है . । तीन किलोमीटर लंबी सड़क के चारों ओर अब धूल का अंबार लगा हुआ है. ज़मीन से निकाली गई मिट्टी, गड्ढे और लोगों को अंदर आने से मना करते साइन बोर्ड हर तरफ़ दिख जाएंगे. साथ ही सीवेज की पाइप और फ़ुटपाथ की मरम्मत करते पीली वर्दी पहने मज़दूर ।
ये सब सरकार की सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत हो रहा है. इस प्रोजेक्ट के तहत नया संसद भवन, प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के लिए नए घर और कई ऑफ़िस बनाए जा रहे हैं.।
सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का मुख्य आकर्षण शानदार तिकोने आकार का नया संसद भवन होगा, जो 64,500 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैला होगा। संसद की नई इमारत मौजूदा संसद भवन से काफी बड़ी और सूंदर होगी, जहां एक साथ लगभग 1,224 सांसदों के बैठने की व्यवस्था होगी। लोकसभा सदन में 888 सांसदों की क्षमता होगी, जबकि राज्यसभा सदन में 384 सांसदों की जगह होगी। यह व्यवस्था भविष्य में सांसदों की संभावित संख्या के मद्देनजर की जा रही है। अभी वर्तमान लोकसभा की क्षमता 545 और राज्यसभा की क्षमता 245 सांसदों की है। संसद की नई इमारत में सभी सांसदों को अलग से अपना शानदार दफ्तर भी मिलेगा। संसद की नई इमारत में एक भव्य कॉन्स्टिट्यूशन हॉल भी होगा, जिसमें संविधान की मूल कॉपी रखी जाएगी। यहां विजटर गैलरी भी होगी जिसमें भारत के लोकतंत्र की विरासत को डिजिटली डिसप्ले करने इंतजाम रहेगा । संसद की मौजूदा इमारत भी कायम रहेगी, जिसे संसद से जुड़ी बाकि तमाम गतिविधियों के लिए इस्तेमाल किया जा सकेगा। संसद की नई इमारत में अत्याधुनिक डिजिटल इंटरफेस की व्यवस्था होगी, ताकि यह एक ‘पेपरलेस दफ्तर’ की तरह काम कर सके। निर्माण कार्य की निगरानी लोकसभा सचिवालय, आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय के सदस्यों और सीपीडब्ल्यूडी,एनडीएमसी और आर्किटेक्ट और डिजाइनरों के हाथों में होगी। संसद की नई इमारत का निर्माण 2022 तक पूरा हो जाने की संभावना है। जबकि, पूरा सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के पूर्ण होने की समय-सीमा 2024 रखी गई है।
संसद भवन 100 साल पहले बनाया गया था ये आज के लिए नहीं था । ये भारत पर शासन करने वाली एक सरकार ने निर्माण किया था. जब से राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे तभी से ही एक नए संसद भवन की जरूरत बताई जा रही थी, क्योंकि पुरानी बिल्डिंग मरम्मत के लायक भी नहीं रह गई है।
दिल्ली में लगाए गए लॉकडाउन के बाद एक याचिकाकर्ता ने यह कहकर याचिका दायर की थी कि अभी दिल्ली में कंस्ट्रक्शन एक्टिविटीज पर पूरी तरह रोक है,तो इस प्रोजेक्ट का काम क्यों नहीं रोका गया. याचिका में कहा गया था कि 500 से अधिक मजदूर वहां काम कर रहे है इससे वहां कोरोना संक्रमण फैलने का खतरा है । । जवाब में दिल्ली हाई कोर्ट ने इस प्रोजेक्ट पर रोक लगाने से इनकार कर दिया । इसके अलावा कोर्ट ने याचिका लगाने वाले शख्स पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है ।
परियोजना को लेकर राहुल गांधी का बवाल
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सेंट्रल विस्टा को आपराधिक बर्बादी करार दिया है। उन्होंने एक ट्वीट में लिखा कि लोगों की जान केंद्र में रखिए, न कि नया घर पाने के लिए अपनी हेकड़ी। वहीं, इस पर पलटवार करते हुए केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा था कि मामले में पार्टी का रुख अजीब है क्योंकि उसके नेताओं ने यूपीए सरकार के दौरान इस प्रस्ताव का समर्थन किया था। उन्होंने कहा कि यूपीए की सरकार के दौरान कांग्रेस नेताओं ने संसद के नए भवन की जरूरत को लेकर चिट्ठियां लिखी थी। यानि अपनी ही पार्टी के सांसदों की आवाज को आप दबा रहे हैं ।
आशा करते हैं की नए संसद भवन में हमारे नेता मानसिक गुलामी से मुक्त हो कर एक नए भारत की अखंड भारत की परिकल्पना को मूर्त रूप देने का प्रयास करेगें ।