दिल्ली का महशूर लाल किला, (Delhi lal kila) पुरानी दिल्ली के इलाके में स्थित है, यह किला लाल रेत-पत्थर से निर्मित है। दिल्ली के इस ऐतिहासिक किले को पाँचवे मुग़ल बाद्शाह शाहजहाँ ने बनवाया था। इस किले को “लाल किला” इसकी दीवारों के लाल रंग के कारण कहा जाता है। इस ऐतिहासिक किले को वर्ष 2007 में युनेस्को द्वारा एक विश्व धरोहर स्थल चयनित किया गया था।
प्राचीन इतिहास के अनुसार लाल किला मुगल बादशाह शाहजहाँ द्वारा ई स 1639 में बनवाया गया था। लाल किले का जीर्णोद्धार फिर से किया गया था, जिससे इसे सलीमगढ़ किले के साथ एक रूप किया जा सके | यह ऐतिहासिक किला एवं महल बादशाह शाहजहाँनाबाद की मध्यकालीन नगरी की राजनीती का महत्त्वपूर्ण केन्द्र-बिन्दु रहा है। लालकिले की परियोजना, एवं खूबसूरती एवं सौन्दर्य मुगल सृजनात्मकता का शिरोबिन्दु है, जो कि शाहजहाँ के काल में अपने चरम उत्कर्ष पर पहुँची थी। इस किले के निर्माण के बाद भी कई बड़े विकास कार्य स्वयं शाहजहाँ द्वारा किए गए | ब्रिटिश काल में यह किला मुख्यरूप से छावनी रूप में प्रयोग किया गया था। यही नहीं, स्वतंत्रता के बाद भी इसके कई महत्त्वपूर्ण भाग सेना के नियंत्रण में सन 2003 तक रहे।
लाल किले में विशिष्ट श्रेणी की कला एवं विभूषक कार्य का दर्शन होता है। यहाँ की सम्पूर्ण कलाकृतियाँ फारसी, यूरोपीय एवं भारतीय कला का मिला जुला रूप है, यह शैली रंग, अभिव्यंजना एवं रूप में उत्कृष्ट है। लालकिला (Delhi lal kila) दिल्ली की एक महत्त्वपूर्ण इमारत समूह है, जो भारतीय इतिहास एवं उसकी कलाओं को अपने में समेटे हुए हैं। इसका महत्त्व समय की सीमाओं से कंही बढ़कर है। दिल्ली का लालकिला वास्तुकला सम्बंधी प्रतिभा एवं शक्ति का जिवंत प्रतीक है। सन 1913में इसे राष्ट्रीय महत्त्व के स्मारक घोषित किया गया।
लाल किले की दीवारे (Delhi lal kila) बड़ी ही खूबसूरती से तराशी गईं हैं। ये दीवारें दो मुख्य द्वारों पर खुली हैं पहला दिल्ली दरवाज़ा एवं दूसरा लाहौर दरवाज़ा। लाहौर दरवाजा मुख्य प्रवेशद्वार है। इसके अन्दर एक लम्बा बाज़ार है, चट्टा चौक, जिसकी दीवारें दुकानों से कतारित हैं। इसके बाद थोड़ा बडा़ खुला स्थान है, जहाँ यह लम्बी उत्तर-दक्षिण सड़क को काटती हुई जाती है।
दिल्ली के महशूर लाल किले के आसपास का क्षेत्र
छाबरी बाजार :- यह लाल किले ठीक सामने स्थित है ।
लाहोरी दरवाजा :- यह दरवाजा लालकिले का मुख्य दरवाजा है इसे लाहोरी दरवाजा के नाम से जाना जाता है ।
दिल्ली दरवाजा :- यह दरवाजा दक्षिण की और स्थित है । इस दरवाजे के दोनों और विशाल हाथी बने हुवे हैं । इसे ओरंगजेब द्वारा तोड़ दिया गया था ।
पानी दरवाजा :- पानी दरवाजा काफी छोटा दरवाजा हैं , दक्षिण पूर्व में स्थित हैं ।
चट्टा चौक:- मुगल कल में यंहा पर हाट बाज़ार लगा करता था। लाहोरी गेट से अंदर जाने पर चट्टा चौक आता हैं।
नौबत खाना:– यंहा पर संगीतकार अपने अपनी संगीत कला का प्रदर्शन करते थे।
दीवान-ए-आम:-यह स्थान उस समय की कोर्ट हुवा करती थी, राजा, यही पर सुनवाई किया करते थे।
मुमताज महल:-यह राज की रानियों एवं उनकी दासियो के लिए स्थान था। वर्तमान में यंहा पर संग्रहालय हैं।
रंग महल :- यह भी मुमताज़ महल की तरह रानियों के लिए महल था । इस महल में एक नहर हुवा करती थी जिस पर पल बना हुवा था ।
दिवान-ए -खास :- यह बहुत ही खूबसूरत महल हुवा करता था । यह राजा का निजी महल था जिसे दिवान-ए – खास कहा जाता था ।
मोती मस्जिद :- इसे ओरंगजेब द्वारा बनाया गया था । यह बादशाह की निजी इबादतगाह हुवा करती थी ।