संसद के बजट (Budget 2018) सत्र की शुरुआत राष्ट्रपति के अभिभाषण के साथ हुई. इसके बाद बजट सत्र के पहले दिन वित्तमंत्री अरुण जेटली ने आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट लोकसभा में पेश की। हिन्दी और अंग्रेज़ी में पेश किए गए इस सर्वे में भविष्य में महंगाई बढ़ने की आशंका जताई गई है। इसके साथ ही वित्त वर्ष 2018 में जीडीपी ग्रोथ 6.75 फीसदी रहने का अनुमान है। वित्त वर्ष 2019 में जीडीपी ग्रोथ 7-7.5 फीसदी रहने का अनुमान है। इस सर्वे में कच्चा तेल का बढ़ना चिंता का विषय है। बता दें कि यह रिपोर्ट देश की आर्थिक स्थिति की वर्तमान स्थिति और सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से मिलने वाले परिणामों को दर्शाती है।
अगले वित्त वर्ष में इकोनॉमी में ग्रोथ की उम्मीद है। बेहतर एक्सपोर्ट के सहारे इकोनॉमी में ग्रोथ देखने को मिलेगी। मौजूदा वित्त वर्ष में डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन का लक्ष्य हासिल होने की उम्मीद है। वहीं दूसरी तरफ सरकार निजी निवेश में तेजी लाने पर फोकस कर रही है। रोजगार, शिक्षा और कृषि पर सरकार का फोकस रहेगा। हालांकि, पेश किए गए सर्वे में भविष्य में महंगाई बढ़ने की आशंका जताई गई है। पोर्ट के मुताबिक, जीएसटी, बैंकों के पुनर्पूंजीकरण, एफडीआई नियमों में ढील और ऊंचे निर्यात की वजह से चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था ने रफ्तार पकड़ी है। वित्त वर्ष 2017-18 में सकल मूल्यवर्धन (जीवीए) की वृद्धि दर 6.1 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। 2016-17 में यह 6.6 प्रतिशत रही थी।
भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बड़ी बात ये है कि डायरेक्ट और इनडायरेक्ट टैक्सपेयर्स में बड़ा इजाफा हुआ है। नॉन एग्रीकल्चर पेरोल में उम्मीद से ज़्यादा तेजी रही। राज्यों के साथ सम्बंधों में और सुधार आया है और बड़े फैसलो में राज्यों ने केंद्र का साथ दिया है। सरकार का मानना है कि फाइनैंशियल इयर 2019 में आर्थिक प्रबंधन में थोड़ी मुश्किल होगी। इस साल चालू खाता घाटा 1.5 से लेकर 2 पर्सेंट तक रह सकता है। मौजूदा वित्त वर्ष में कृषि ग्रोथ 2.1 पर्सेंट रहने का अनुमान है।
फाइनैंशल इयर 2017-18 के लिए राजकोषीय घाटा 3.2 पर्सेंट रहने का अनुमान है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक मौजूदा फाइनैंशल इयर में 3.3 पर्सेंट रहने का अनुमान है। थोक मूल्य सूचकांक के 2.9 पर्सेंट तक रहने की संभावना है। इस साल विदेशी मुद्रा भंडार में बड़े इजाफे की उम्मीद। 209.4 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचेगा आंकड़ा।
सरकार आगामी बजट में आयकर के स्तर तथा दरों में संशोधन कर सकती है, ताकि आम लोगों पर दबाव कम किया जा सके. वित्तीय परामर्श सेवा कंपनी ईवाय के एक बजट पूर्व सर्वेक्षण में 69 प्रतिशत लोगों की राय है कि कर छूट का स्तर बढ़ाना चाहिए ताकि लोगों के पास खर्च करने को ज़्यादा आय बचे। सर्वेक्षण में करीब 59 प्रतिशत ने कहा कि विभिन्न प्रकार की अब अप्रासंगिक हो चुकी कटौतियों की जगह एक मानक कटौती होनी चाहिए जिससे कर्मचारियों के ऊपर कर दबाव कम होगा।
इस सर्वेक्षण में 150 मुख्य वित्त अधिकारियों, कर प्रमुखों व वरिष्ठ वित्त पेशेवरों ने भाग लिया और यह जनवरी में हुआ। करीब 48 प्रतिशत प्रतिभागियों ने कहा कि उन्हें वित्त मंत्री द्वारा कॉर्पोरेट कर कम किये जाने की उम्मीद है, लेकिन उन्हें लगता है के उपकर जारी रहेंगे। करीब 65 प्रतिशत लोगों का अनुमान है कि लाभांश पर कर व्यवस्था में बदलाव किए जा सकते हैं। ईवाय ने कहा, “बजट पूर्व सर्वेक्षण में पता चलता है कि कर नीतियां स्थिर एवं सतत होगी तथा कर ढांचे में सुधार होगा।”
मोदी सरकार के अगले बजट (Budget) में मध्यम वर्ग को बड़ी राहत मिल सकती है। वर्ष 2018-19 के आगामी आम बजट में सरकार कर छूट सीमा बढ़ाने के साथ-साथ कर स्लैब में भी बदलाव कर सकती है। सूत्रों ने यह जानकारी दी है। सूत्रों के अनुसार वित्त मंत्रालय के समक्ष व्यक्तिगत आयकर छूट सीमा को मौजूदा ढाई लाख रुपये से बढ़ाकर तीन लाख रुपये करने का प्रस्ताव है। हालांकि, छूट सीमा को पांच लाख रुपये तक बढ़ाने की समय-समय पर मांग उठती रही है। वर्ष 2018-19 का आम बजट (Budget) मोदी सरकार के मौजूदा कार्यकाल का अंतिम पूर्ण बजट होगा।