बाहुबली की मुस्कराहट के पीछे का सच

  बाहुबली की मुस्कराहट के पीछे का सच

किसी भी आलिशान भवन के बनने के बाद उसका केवल ऊपर  का भाग दिखाई देता हैं l  जबकि पुरे भवन को मज़बूती उसकी नींव और नींव के पत्थर प्रदान करते हैं , किंतु  वे  हमें दिखाई नहीं देते l

भारतीय सिनेमा की अब तक की सबसे चर्चित फिल्म बाहुबली के निर्माण के पीछे भी कुछ ऐसे ही तथ्य हैं  l  जिनसे फिल्म को मज़बूती तो बहुत मिलती है , परन्तु  ये तथ्य हमें दिखाई नहीं पड़ते l

 १००० फिट ऊँचा  सुन्दर  झरना

बाहुबली फिल्म के दोनों पार्ट में अतिसुन्दर वाटरफाल  दिखाया गया है  l इस १००० फुट ऊँचे झरने  के  सीन को टिशू पेपर की मदद से शुट किया गया  है  l  टिशू पेपर को मशीन की सहायता से इतनी तेज़ी से और इस तरह से गिराया जाता है कि वह गिरता हुवा पानी दिखे l  झरने का निचे वाला भाग असली झरना था  l

महिष्मति पैलेस के सेट को बनाने के लिए १९०० लोगो ने १०० दिन तक लगातार काम किया  .

इंजन वाला रथ

धान काटने की मशीन और बुलेट  के इंजन को  लेकर  बनाया गया यह उड़ने वाला रथ  भी  इसके  प्रोडशन टीम की बुलंद विचार शक्ति का परिणाम है  यह भी फिल्म को उत्कर्षता प्रदान करता है l

अंत में

१५०० सैनिक थे सीन में , 3D  तकनीक से सवा लाख  दिखाए  गए  .युद्ध के सभी सीन में असली सैनिक १५०० ही थे  l इन्हे  3D तकनीक से ही अधिक दिखाए गए   l

१०० टृक मिटटी  फिर मरा बाहुबली  

इस सीन को हैदराबाद के आउटर में शुट किया गया . इस लोकेशन को तैयार करने लिए  १०० टृक मिटटी  गिरवा कर सड़क बनवाई गई . ६० फुट ऊँचे नकली पहाड़ बनाये गए .  

प्रत्येक सफल फिल्म के पीछे  , निर्माता निर्देशक , तथा , कहानीकार , कलाकार , तथा पूरी प्रोडक्शन टीम से जुड़े हर छोटे बड़े वियक्ति  का योगदान होता है|

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