कैंसर और उसका आयुर्वेदिक इलाज

Cancer एक बहुत ही ज़्यादा खतरनाक बीमारी है। यह शरीर के किसी भी भाग में एक गांठ के रूप में दिन-प्रतिदिन बढ़ने वाली बीमारी है। जब तक इस रोग के होने का लक्षण पता चलता है तब तक तो यह बीमारी शरीर में बहुत ज़्यादा फैल चुकी होती है। यदि Cancer रोग शरीर के किसी भी अंग में दिखाई देता है तो भी यह पूरे शरीर का रोग है इसलिए इसका उपचार करते समय यह ध्यान देना ज़रूरी है कि इसका इलाज स्थानीय उपचार करने के साथ-साथ पूरे शरीर को दोषमुक्त बनाने के लिए करना चाहिए | इस रोग से बचने के लिए जैसे ही इसके लक्षण पता चले जैसे भी हो तुरन्त ही इसका इलाज शुरू कर ही देना चाहिए ।

आइये जानते हैं Cancer रोग होने के मुख्य कारण :-

Cancer रोग होने का सबसे प्रमुख कारण दूषित भोजन का सेवन करना है।

धूम्रपान करने से या धूम्रपान करने वाले के संग रहने से भी कैंसर रोग हो सकता है।

गुटका, पान मसाला, गुटका, शराब तथा तम्बाकू का सेवन करने से कैंसर रोग हो सकता है।

अधिक मेहनत के कार्य करना तथा आराम की कमी के कारण भी कैंसर रोग हो सकता है।

बासी भोजन, सड़ी-गली चीजें तथा बहुत समय से फ्रिज में रखे भोजन को खाने से भी कैंसर रोग हो सकता है।

सबसे पहले हैं जानते है की Cancer रोग के लिए Ayurvedic उपाय :-

Cancer रोग से पीड़ित रोगी का उपचार करने के लिए सबसे पहले उसके शरीर पर स्थानीय उपचार करने के साथ-साथ पूरे शरीर का उपचार करना चाहिए ताकि उसका पूरा शरीर दोषमुक्त हो सके ।

Cancer रोग का उपचार शुरू करने के लिए रोगी व्यक्ति को नींबू के रस का पानी पीकर उपवास रखना चाहिए और इसके बाद कुछ दिनों तक केवल अंगूर का रस पीना चाहिए ।

Cancer रोग से पीड़ित रोगी यदि 6 महीने तक अंगूर का रस लगतार पीए तो उसे बहुत अधिक लाभ होता है।

Cancer रोग से पीड़ित रोगी यदि प्रतिदिन 1 ग्राम हल्दी नियमित रूप से खाए तो उसका यह रोग ठीक हो जाता है।

1 चम्मच तुलसी का रस तथा 1 चम्मच शहद को सुबह के समय चाटने से कैंसर रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।

नीम तथा तुलसी के 5-5 पत्ते प्रतिदिन खाने से Cancer रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।

गले के Cancer को ठीक करने के लिए छोटी हरड़ का टुकड़ा दिन में 2 बार भोजन करने के बाद चूसने से बहुत अधिक लाभ मिलता है।

रामबाण आयुर्वेदिक उपाय :-

देशी गाय का मूत्र आधा कप और आधा चम्मच हल्दी दोनों मिलाके गरम करना जिससे उबाल आ जाये फिर उसको ठंडा कर लेना है। सामान्य तापक्रम में आने के बाद रोगी को चाय की तरह पिलाना है चुस्किया ले-ले के अथवा सिप-सिप करके | एक और Ayurvedic दवा है पुनर्नवा जिसको अगर आधा चम्मच इसमें मिलायेंगे तो और अच्छा परिणाम आयेगा। पुनर्नवा जो आयुर्वेद के दुकान में पाउडर या छोटे-छोटे पीसेस में मिलती है।

याद रखें इस दवा  में सिर्फ़ देशी गाय का मूत्र ही काम में आता है विदेशी जर्सी का मूत्र कुछ काम नहीं आता और जो देशी गाय काले रंग की हो उसका मूत्र सबसे अच्छा परिणाम देता है इन सब में। इस दवा को (देशी गाय की मूत्र, हल्दी, पुनर्नवा) सही अनुपात में मिलाके उबालकर ठंडा करके कांच की पात्र में स्टोर करके रखिये पर बोतल को कभी फ्रिज में मत रखिये, धुप में मत रखिये। ये  दवा  कैंसर के सेकंड स्टेज में और कभी-कभी थर्ड स्टेज में भी बहुत अच्छे परिणाम देती है।

यह हमारा एक छोटा सा प्रयास है आम आदमी की जानकारी के लिए । फर्स्ट तथा सेकंड स्टेज तक में उपरोक्त दवा जरूर फायदा करती है। आपसे अनुरोध है की किसी भी अनुभवी वैद्य या डॉक्टर के मार्गदर्शन में ही किसी भी दवा का उपयोग शुरू करे ।

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