स्वतंत्रता प्राप्ति की पहली चिंगारी 1857 में लगी थी। खुदीराम बोस, सुभाषचन्द्र बोस, भगत सिंह, चन्द्रशेखर आजाद, महात्मा गाँधी और जवाहरलाल नेहरू ने इस चिंगारी को अपने प्रभावशाली भाषणों से इतनी हवा दी कि यह चिंगारी प्रत्येक भारतीय के हृदय में जल उठी और शोला बनकर अंग्रेंजों पर गिरी। 15 अगस्त 1945 को देश दो भागों में बंटकर स्वतंत्र हो गया।
स्वतंत्रता दिवस भारतीयों के लिये एक बहुत ही खास दिन है क्योंकि, इसी दिन वर्षों की गुलामी के बाद ब्रिटिश शासन से भारत को पूर्ण आजादी मिली थी। देश की शासन व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए डॉ॰ राजेन्द्र प्रसाद देश के प्रथम राष्ट्रपति और पं॰ जवाहरलाल नेहरू देश के प्रथम प्रधानमंत्री बनाए गए । सोने की चिड़िया कहलाने वाले देश को जयचन्द और मीर जाफर जैसे लोगों ने अपनी आपसी फूट के कारण गुलाम बनवा दिया। इस देश का वैभव, संस्कृति, ज्ञान, धर्म, दर्शन पहले मुसलमानों की और बाद में अंग्रेजों की भेंट चढ़ गए ।
इस स्वतंत्रता आन्दोलन में महारानी लक्ष्मीबाई और सरोजिनी नायडू जैसी नारियाँ भी अपना सहयोग देने में पीछे नहीं रहीं। हर वर्ष 15 अगस्त राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाया जाता है। मुख्य समारोह लाल किले पर होता है। प्रधानमंत्री के वहाँ पहुँचने पर तीनों सेना के मुख्याध्यक्ष उन्हें सलामी देते हैं। प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीर से तिरंगे को फहराते हैं। ध्वज के सम्मान में 21 तोपों की सलामी दी जाती है। प्रधानमंत्री राष्ट्र के नाम संदेश में देश की उन्नति और भविष्य की योजनाओं के बारे में राष्ट्र को बताते हैं। इस अवसर पर देश के गणमान्य व्यक्तियों के अतिरिक्त विदेशी अतिथि भी होते हैं।भाषण की समाप्ति पर तीन बार ‘जय हिन्द’ के उद्घोष के साथ राष्ट्रीय गान गाया जाता है और कार्यक्रम समाप्त हो जाता है। 15 अगस्त को राष्ट्रीय अवकाश रहता है। इस दिन सरकारी और गैर-सरकारी संस्थान बंद रहते हैं। इसलिए स्कूलों और महाविद्यालयों में एक दिन पहले ध्वजारोहण होता है और प्राचार्य भाषण देते हैं ।
आजादी के इस पर्व को सभी भारतीय अपने-अपने तरीके से मनाते है, जैसे उत्सव की जगह को सजाना, फ़िल्में देखकर, अपने घरों पर राष्ट्रीय झंडे को लगा कर, राष्ट्रगान और देशभक्ति गीत गाकर, तथा कई सारे सामाजिक क्रियाकलापों में भाग लेकर। राष्ट्रीय गौरव के इस पर्व को भारत सरकार द्वारा बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री द्वारा दिल्ली के लाल किले पर झंडा फहराया जाता है और उसके बाद इस उत्सव को और खास बनाने के लिये भारतीय सेनाओं द्वारा परेड, विभिन्न राज्यों की झांकियों की प्रस्तुति और राष्ट्रगान की धुन के साथ पूरा वातावरण देशभक्ति से सराबोर हो उठता है। राज्यों में भी स्वतंत्रता दिवस को इसी उत्साह के साथ मनाया जाता है जिसमें राज्यों के राज्यपाल और मुख्यमंत्री मुख्य अतिथि के तौर पर होते है। कुछ लोग सुबह जल्दी ही तैयार होकर प्रधानमंत्री के भाषण का इंतजार करते है। भारतीय स्वतंत्रता इतिहास से प्रभावित होकर कुछ लोग 15 अगस्त के दिन देशभक्ति से ओतप्रोत फ़िल्में देखते है साथ ही सामाजिक कार्यक्रमों में भाग लेते हैं।
महात्मा गांधी के अहिंसा आंदोलन की वजह से हमारे स्वतंत्रता सेनानियों को खूब मदद मिली और 200 साल के लंबे संघर्ष के बाद ब्रिटिश शासन से आजादी मिली। स्वतंत्रता के लिये किये गये कड़े संघर्ष ने उत्प्रेरक का काम किया जिसने ब्रिटिश शासन के खिलाफ अपने अधिकारों के लिये हर भारतीय को एक साथ किया, चाहे वह किसी भी धर्म, वर्ग, जाति, संस्कृति या परंपरा को मानने वाले हो। यहाँ तक कि अरुणा आसिफ अली, एनी बेसेंट, कमला नेहरु, सरोजिनी नायडु और विजय लक्ष्मी पंडित जैसी महिलाओं ने भी चुल्हा-चौका छोड़कर आजादी की लड़ाई में अपनी महत्त्वपूर्णं भूमिका अदा की।
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