
आज के दौर में जब बॉलीवुड और क्षेत्रीय सिनेमा में कंटेंट की भरमार है, तब कुछ ही फिल्में ऐसी आती हैं जो दर्शकों को सोचने पर मजबूर कर देती हैं। फिल्म ‘धुरंधर’ (Dhurandhar) उन्हीं फिल्मों में से एक है, जो सिर्फ मनोरंजन नहीं करती बल्कि समाज, सिस्टम और इंसान की सोच पर भी सवाल उठाती है। यह फिल्म एक्शन, ड्रामा और इमोशन का ऐसा मिश्रण है, जो शुरू से लेकर अंत तक दर्शकों को स्क्रीन से बांधे रखती है।
इस रिव्यू में हम बात करेंगे फिल्म की कहानी, एक्टिंग, निर्देशन, म्यूजिक, तकनीकी पक्ष, और सबसे अहम सवाल – क्या ‘धुरंधर’ वाकई देखने लायक फिल्म है या नहीं?
फिल्म की कहानी (Story Review)
‘धुरंधर’ की कहानी एक ऐसे नायक के इर्द-गिर्द घूमती है जो दिखने में आम इंसान है, लेकिन हालात उसे असाधारण बना देते हैं। फिल्म की शुरुआत एक शांत माहौल से होती है, जहां सब कुछ सामान्य लगता है, लेकिन जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है, परत दर परत सच्चाई सामने आती जाती है।
कहानी में सिस्टम की खामियां, सत्ता का दुरुपयोग, और आम आदमी की मजबूरी को बहुत ही प्रभावशाली तरीके से दिखाया गया है। फिल्म का नायक अन्याय के खिलाफ खड़ा होता है और यहीं से शुरू होती है उसकी असली लड़ाई।
फिल्म की सबसे बड़ी ताकत यह है कि इसकी कहानी काल्पनिक होते हुए भी हकीकत के बहुत करीब लगती है। कई सीन ऐसे हैं जिनसे दर्शक खुद को जोड़ पाएंगे।
अभिनय (Acting Performance)
फिल्म ‘धुरंधर’ में कलाकारों ने शानदार अभिनय किया है।
मुख्य अभिनेता
मुख्य किरदार निभाने वाले अभिनेता ने अपने रोल को पूरी ईमानदारी से निभाया है। उनकी आंखों के भाव, डायलॉग डिलीवरी और बॉडी लैंग्वेज किरदार में जान डाल देती है। एक आम इंसान से धुरंधर बनने का सफर उन्होंने बखूबी दिखाया है।
सहायक कलाकार
सहायक कलाकारों का अभिनय भी काबिले-तारीफ है। खासकर विलेन का किरदार फिल्म में अलग ही लेवल पर नजर आता है। विलेन को सिर्फ बुरा दिखाने की बजाय उसके सोचने का तरीका भी दिखाया गया है, जो कहानी को और मजबूत बनाता है।
निर्देशन (Direction)
फिल्म का निर्देशन इसकी सबसे बड़ी ताकतों में से एक है। निर्देशक ने कहानी को कहीं भी भटकने नहीं दिया। हर सीन का एक उद्देश्य है और हर फ्रेम कहानी को आगे बढ़ाता है।
एक्शन सीन्स को बेवजह लंबा नहीं खींचा गया, वहीं इमोशनल सीन दिल को छू जाते हैं। निर्देशक ने मास और क्लास दोनों दर्शकों को ध्यान में रखकर फिल्म बनाई है।
म्यूजिक और बैकग्राउंड स्कोर
फिल्म ‘धुरंधर’ का म्यूजिक कहानी के साथ-साथ चलता है। गाने ज्यादा नहीं हैं, लेकिन जितने भी हैं, वे फिल्म की जरूरत के हिसाब से रखे गए हैं।
बैकग्राउंड म्यूजिक खास तौर पर तारीफ के काबिल है। एक्शन सीन में जोश भर देता है और इमोशनल सीन में दर्शकों को भावुक कर देता है।
सिनेमैटोग्राफी और तकनीकी पक्ष
फिल्म की सिनेमैटोग्राफी काफी शानदार है। कैमरा वर्क, लाइटिंग और लोकेशन का चुनाव बहुत सोच-समझकर किया गया है।
- एक्शन सीन साफ और प्रभावशाली हैं
- स्लो-मो शॉट्स का सही इस्तेमाल
- कलर ग्रेडिंग फिल्म के मूड से मेल खाती है
एडिटिंग भी टाइट है, जिससे फिल्म कहीं भी बोर नहीं करती।
डायलॉग्स और मैसेज
‘धुरंधर’ के डायलॉग्स फिल्म की जान हैं। कई संवाद ऐसे हैं जो थिएटर से बाहर आने के बाद भी याद रहते हैं।
फिल्म सिर्फ मनोरंजन नहीं करती, बल्कि यह सवाल भी पूछती है:
- क्या सिस्टम सच में आम आदमी के लिए है?
- क्या एक इंसान बदलाव ला सकता है?
- चुप रहना सही है या आवाज उठाना?
पब्लिक रिएक्शन (Audience Response)
फिल्म को दर्शकों से मिश्रित लेकिन ज्यादातर पॉजिटिव रिस्पॉन्स मिल रहा है।
दर्शकों को पसंद आया:
- दमदार कहानी
- मजबूत अभिनय
- रियलिस्टिक ट्रीटमेंट
कुछ दर्शकों को:
- फिल्म की लंबाई थोड़ी ज्यादा लगी
- कुछ सीन स्लो महसूस हुए
लेकिन कुल मिलाकर फिल्म लोगों को सोचने पर मजबूर कर रही है।
फिल्म की खास बातें (Highlights)
✔ दमदार और सामाजिक संदेश वाली कहानी
✔ शानदार अभिनय
✔ मजबूत निर्देशन
✔ प्रभावशाली बैकग्राउंड म्यूजिक
✔ रियलिस्टिक एक्शन
फिल्म की कमियां (Weak Points)
✖ कुछ जगह फिल्म की रफ्तार धीमी
✖ सेकेंड हाफ थोड़ा लंबा
✖ कमर्शियल दर्शकों को कुछ सीन भारी लग सकते हैं
⭐ हमारी रेटिंग (Rating)
⭐ 3.5 / 5
यह फिल्म उन दर्शकों के लिए है जो सिर्फ मसाला नहीं, बल्कि कंटेंट और मैसेज भी चाहते हैं।
क्या ‘धुरंधर’ देखनी चाहिए?
अगर आप:
- सामाजिक मुद्दों पर बनी फिल्में पसंद करते हैं
- दमदार कहानी और अभिनय चाहते हैं
- सिर्फ टाइमपास नहीं, कुछ अलग देखना चाहते हैं
तो फिल्म ‘धुरंधर’ जरूर देखें।
अंतिम फैसला (Final Verdict)
‘धुरंधर’ एक ऐसी फिल्म है जो आपको सोचने पर मजबूर करती है। यह परफेक्ट फिल्म नहीं है, लेकिन ईमानदार कोशिश जरूर है। आज के समय में ऐसी फिल्मों की जरूरत है जो सवाल उठाएं और दर्शकों को आईना दिखाएं।
यह फिल्म एक बार जरूर देखी जानी चाहिए।
